कभी इसी मंदिर से होती थी शहर की पहचान, घर का पता बताने में पहले लेते थे मंदिर का नाम
अब घरों की छतों पर चढ़ने पर ठीक से नहीं दिखता मंदिर
मंदिर परिसर भी अतिक्रमण की चपेट में
औरंगाबाद सदर : समय बदलने के साथ-साथ शहर औरंगाबाद भी काफी बदला है. यहां पर लोग पहले साधारण तरीके से रहना पसंद किया करते थे, लेकिन आज की लाइफ स्टाइल काफी बदली है.
ऐसे में शहर में भी बदलाव आया है. पहले औरंगाबाद शहर की पहचान ऊंचे महावीर मंदिर से हुआ करती थी. किसी को पता भी बताना होता था, तो लोग सीधे पहले महावीर मंदिर का जिक्र किया करते थे, उसके बाद अपने घर का पता बताते थे. वर्ष 2000 तक औरंगाबाद शहर में बड़ी इमारतों की संख्या भी कम थी. गिने-चुने दो मंजिले और तीन मंजिला इमारतें ही नजर आती थीं. शहर के मुख्य जीटी रोड पर भी खूबसूरत व ऊंची बिल्डिंग नहीं दिखते थे.
शहर के किसी कोने में खड़े होकर भी आराम से महावीर मंदिर के ऊंचे गुंबद का दीदार किया जा सकता था और किसी छत पर चढ़ने के बाद, तो महावीर मंदिर का पूरा विशालकाय आकार ही दिख जाता था, पर आज ऐसा नहीं है. पहले कभी जो अपनी खूबसूरती और ऊंचाई के लिये प्रसिद्ध था, आज उस मंदिर के गुंबद के दीदार के लिये बहुमंजिलीय इमारत पर चढ़ना पड़ता है. यही नहीं शहर के बहुमंजिल इमारत और मोबाइल टॉवरों के बीच महावीर मंदिर का अस्तित्व गौर से ढूंढना पड़ता है तब जाकर महावीर मंदिर की धुंधली तस्वीर नजर आती है. जैसा कि आप इस तस्वीर में भी देख सकते हैं.
इस मंदिर के साथ एक और त्रासदी यह है कि पहले मंदिर के इर्द-गिर्द अतिक्रमण नहीं था, लेकिन आज अतिक्रमण के कब्जे से मंदिर परिसर का अस्तित्व ही खो गया है. मंदिर परिसर के समक्ष लगने वाले जाम व गाड़ियों के हाॅर्न से अब श्रद्धालुओं का मन उब जाता है और पूजा में भी अलग तरह का विघ्न उत्पन्न होता है.