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18 अस्पतालों में 11 डॉक्टर

पशुधन विकास योजना . पशुपालन विभाग में कर्मियों का टोटा जिले में पशुओं के स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और संसाधनों के अभाव के कारण पशुपालन का विकास नहीं हो पा रहा है. अररिया : जिले में पर्याप्त वन क्षेत्र होने के बावजूद पशुपालन का समुचित विकास नहीं हो पा रहा है. क्षेत्र में पशुपालन को […]

पशुधन विकास योजना . पशुपालन विभाग में कर्मियों का टोटा

जिले में पशुओं के स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और संसाधनों के अभाव के कारण पशुपालन का विकास नहीं हो पा रहा है.
अररिया : जिले में पर्याप्त वन क्षेत्र होने के बावजूद पशुपालन का समुचित विकास नहीं हो पा रहा है. क्षेत्र में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई सरकारी योजनाएं संचालित किये जा रहे हैं. बावजूद इसके एक व्यवसाय के रूप में पशुपालन को कोई मुकाम नहीं मिल पा रहा है. जिले में पशुओं के स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और संसाधनों का अभाव इसकी एक वजह है. जिला मुख्यालय में अनुमंडल पशु चिकित्सालय के साथ नौ प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में कुल 17 पशु अस्पताल मौजूद हैं.
सभी अस्पताल कर्मी और संसाधन की कमी की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं. कर्मियों के अभाव में पशुओं के स्वास्थ्य की नियमित जांच नहीं हो पाती. बीमार होने पर समय पर चिकित्सकीय सुविधा नहीं मिल पाती.
18 अस्पतालों में महज 11 चिकित्सक कार्यरत : एक अनुमंडल पशु अस्पताल के अलावा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 17 पशु अस्पताल हैं. अनुमंडल अस्पताल में एक चिकित्सक कार्यरत हैं. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र के 17 पशु अस्पतालों के संचालन की जिम्मेदारी महज 10 चिकित्सकों के कंधों पर है. चिकित्सकों की कमी के कारण एक ही डॉक्टर कई अस्पताल के प्रभार में हैं. इसके अलावा अस्पताल में पशुधन सेवक, अनुसेवक व लिपिक के पद पर भी कर्मियों का टोटा है. ऐसे में पशु चिकित्सालय महज दिखावा ही बन कर रह गया है. अस्पताल में चिकित्सकों के आने का समय व तिथि निर्धारित नहीं होती.
विभागीय लापरवाही से कर्मी का मनोबल प्रभावित : कर्मियों के अभाव के कारण पशुपालन विभाग के एक कर्मी पर ही कई कार्यों की जिम्मेदारी है. जाहिर है इससे समय पर कार्यों का निष्पादन प्रभावित होता है. कर्मियों की मानें तो विभागीय लापरवाही भी कर्मियों के मनोबल को प्रभावित कर रहा है. एक कर्मी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि चतुर्थ वर्गीय कर्मियों को वर्ग तीन में प्रोन्नति 15 सालों से नहीं दी गयी है. 10 अक्तूबर 1991 के बाद से किसी कर्मी को प्रोन्नति का लाभ नहीं मिल पाया है. ऐसे में कर्मी काम की अधिकता व प्रोन्नति नहीं पाने का मलाल साथ साथ झेलने के लिए मजबूर हैं.
इन जगहों पर पशु चिकित्सालय कार्यरत : सिकटी, कुर्साकांटा, कुआड़ी, हलधरा, मदनपुर, पलासी, जोकीहाट, चिरोहाट, बाघ नगर, भरोटा हाट, रानीगंज, परसाहाट, भरगामा, नरपतगंज, फारबिसगंज, सिमराहा
अनुमंडल पशु अस्पताल के साथ ग्रामीण क्षेत्र के 17 पशु अस्तपालों में अनुसेवक के 38 पद सृजित हैं. अनुमंडल पशु अस्पताल में अनुसेवक के सृजित चार के चार पद खाली पड़े हैं. इसके अलावा 17 ग्रामीण पशु चिकित्सालयों में अनुसेवक के 34 सृजित पदों में महज 14 पद पर कर्मी बहाल हैं.
इस तरह अनुसेवक के सृजित कुल 38 पदों में 14 कर्मी कार्यरत हैं. अमूमन ऐसी ही हालत पशुधन सहायक की भी है. जिले में पशुधन सहायक के कुल 18 पद सृजित हैं. फिलहाल तीन कर्मी इस पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. अन्य पद लंबे समय से खाली पड़ा है. जिला में डीएचओ, एसएएचओ व वीएच के पद पर अधिकारी बहाल है.
कर्मियों की कमी से हो रही परेशानी
चिकित्सक व अन्य कर्मियों की कमी से विभागीय कार्य के निष्पादन में बड़ी बाधा साबित हो रही है. इस संबंध में कई दफा विभागीय स्तर पर पत्राचार भी किया जा चुका है.
डॉ फिरोज अख्तर, अनुमंडल पशुपालन पदाधिकारी

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