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जनप्रतिनिधियों पर नहीं होती कार्रवाई
जिले में जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक गबन के कई मामले उजागर हुए हैं. मामला गंभीर होने के बावजूद आरोपी बच निकलते हैं. पंकज झा अररिया : सरकारी योजना की राशि के दुरूपयोग का मामला हाल के दिनों में जिले भर में चर्चा का विषय रहा है. जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड स्तरीय […]
जिले में जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक गबन के कई मामले उजागर हुए हैं. मामला गंभीर होने के बावजूद आरोपी बच निकलते हैं.
पंकज झा
अररिया : सरकारी योजना की राशि के दुरूपयोग का मामला हाल के दिनों में जिले भर में चर्चा का विषय रहा है. जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड स्तरीय कार्यालयों में गबन के कई मामले उजागर हो चुके हैं. विकास की राशि का दुरुपयोग एक संगीन मामला होने के बाद भी इसके आरोपियों का बच निकलना. जिले में एक चलन बनता जा रहा है. देखा जाये, तो गबन आरापियों को प्रशासनिक तौर पर मिलने वाली रियायत का चलन ही अब उनके गले की हड्डी बन गयी है.
यही कारण है कि एक से बढ़ कर एक गबन के ताजा मामले जिले में सामने आ रहे हैं. प्रखंड के अररिया बस्ती पंचायत में विकास निधि से निकाली गयी राशि के दुरुपयोग का मामला इसी मामले की नयी कड़ी है. पंचायत चुनाव से ठीक पहले अररिया बस्ती पंचायत के तत्कालीन मुखिया इफ्फत आरा, पंचायत सचिव मिश्री लाल मंडल, अभिकर्ता शिक्षक विनोद मालाकार के मिलीभगत से पंचायत की छह योजनाओं के नाम पर करीब 20 लाख राशि की निकासी कर ली गयी. चुनाव खत्म हुए एक साल बीतने को हैं. लेकिन इनमें से किसी योजना पर काम नहीं हो सका. चुनाव में मिली हार के बाद तत्कालीन मुखिया योजना पूरी कराने या निकासी की गयी राशि विकास निधि में पुन: जमा कराने के प्रति उदासीन रही. खास बात यह कि साल भर प्रखंड प्रशासन भी मामले में अनजान बना रहा. मामला संज्ञान में आने के बाद पूर्व मुखिया को कई दफा नोटिस तो भेजी गयी.
लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता देख दिनांक 23 मार्च 2017 को स्थानीय थाना के माध्यम से मुखिया को नोटिस तामिला करानी पड़ी. हालांकि दवाब बढ़ने के बाद कुछ जगहों पर कार्य आरंभ किये जाने की बातें सामने आ रही हैं. लेकिन गबन के इन संगीन मामलों में साल भर चुप्पी साधे रहना और मजह नोटिस भेज कर अपनी जिम्मेदारी पूरी समझना गबन के इन मामलों को टालने जैसा है.
इससे पहले जिले में गबन के कई मामले हैं. जहां प्रशासन को गबन से संबंधित शिकायत मिलने पर त्वरित जांच के बाद कार्रवाई को अंजाम दिया गया. ऐसे में अलग-अलग मामलों में प्रशासनिक कार्रवाई में अंतर को लेकर भी सवाल खड़े होते हैं.
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