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सात माह में आठ लोगों को मिला ऋण
बेरोजगारों को स्वरोजगार कार्यक्रम योजना का सही लाभ नहीं िमल पा रहा है. ऋण के लिए मई माह से आवेदक परेशान हैं, लेिकन विगत सात माह में प्राप्त आवेदन में तीन तिहाई लोगों के भी ऋण स्वीकृत नहीं किये गये हैं. नप क्षेत्र में जब बैंकों का यह हाल है तो ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र […]
बेरोजगारों को स्वरोजगार कार्यक्रम योजना का सही लाभ नहीं िमल पा रहा है. ऋण के लिए मई माह से आवेदक परेशान हैं, लेिकन विगत सात माह में प्राप्त आवेदन में तीन तिहाई लोगों के भी ऋण स्वीकृत नहीं किये गये हैं. नप क्षेत्र में जब बैंकों का यह हाल है तो ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की परेशानी को सहज ही समझा जा सकता है.
अररिया : स्वरोजगार की दिशा में सरकारी कवायदें चाहे जितनी भी तेज हो लेकिन बैंक की शिथिलता के कारण इस मुहिम को अपेक्षाकृत लाभ बेरोजगारों को नहीं मिल पा रहा है. नतीजों पर अगर गौर करे तो सिर्फ नगर परिषद में स्वरोजगार के लिए मई माह से ही आवेदक परेशान हैं लेकिन विगत सात माह के बाद भी आवेदन के विपरीत तीन तिहाई लोगों के ऋण स्वीकृत नहीं किये गये हैं. ऐसे में स्वरोजगार के लिए पूंजी उपलब्ध कराने की सरकारी मुहिम कछुए की चाल साबित हो रही है. बैंकों द्वारा कहानियां तो गढ़ दिया जाता है.
लेकिन शहरी क्षेत्र में जब सरकार के गारंटी के बाद भी बेरोजगारों को ऋण राशि उपलब्ध नहीं करायी जा रही है तो ग्रामीण क्षेत्रों का हाल तो और भी बुरा होगा. जबकि शहरी क्षेत्र में डे एनयूएलएम के कर्मी न केवल लोगों को बेहतर करने के लिए ऋण लेने के प्रोत्साहित करते हें बल्कि नप द्वारा सात प्रतिशत के ऊपर के बैंक के ब्याज का सब्सिडी नगर परिषद द्वारा उपलब्ध कराने का भरोसा भी देते हैं. इसके बाद जब मेहनती व जरूरत मंद बीपीएल परिवार व फूटपाथ बिक्रेता ऋण लेने के लिए तैयार हो जाते हैं तो उनके भेजे गये प्रोपोजल को लंबी अवधि तक बेरुखी का सामना करना पड़ता है.
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