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एक भी शव नहीं जला, हुआ जर्जर
उपेक्षा : 39 लाख में बना था शवदाह गृह वर्ष 2010 में निर्मित शवदाह गृह आज भी उपेक्षित है. हस्तगत करने की प्रक्रिया के विवाद में अब तक नहीं हो पाया है चालू. अररिया : शहर के पनार नदी किनारे छह साल पूर्व लगभग 39 लाख रुपये की लागत से बना शवदाह गृह आज भी […]
उपेक्षा : 39 लाख में बना था शवदाह गृह
वर्ष 2010 में निर्मित शवदाह गृह आज भी उपेक्षित है. हस्तगत करने की प्रक्रिया के विवाद में अब तक नहीं हो पाया है चालू.
अररिया : शहर के पनार नदी किनारे छह साल पूर्व लगभग 39 लाख रुपये की लागत से बना शवदाह गृह आज भी चालू होने के इंतजार में है. अब तो यह पूरी तरहसे जर्जर हो चुका है. इसके रख-रखाव की जिम्मेवारी तो नगर परिषद के पास है लेकिन इसके लिए उनके पास बजट तक उपलब्ध नहीं है.
इस मामले का दिलचस्प पहलू तो यह भी है कि जब शवदाह गृह नगर परिषद को हस्तगत कराया गया तो तत्कालीन इओ राकेश कुमार ने पहले तो शवदाह गृह को अपूर्ण होने का दावा तत्कालीन डीएम के समक्ष प्रस्तुत किया. इसके बाद मात्र 15 दिनों के अंदर ऐसा क्या हुआ कि नप के विद्युत पर्यवेक्षक को पीएचइडी के कनीय अभियंता द्वारा जीर्ण-शीर्ण हालत में पड़े शवदाह गृह को हस्तगत कराया गया, यह बात आज भी लोगों की समझ से परे है.
गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न
शवदाह गृह का निर्माण पीएचइडी विभाग द्वारा वर्ष 2009-10 में टेंडर निकाल कर किया गया. छह शय्या वाले आधुनिक शवदाह गृह का निर्माण कार्य वर्ष 2010 में 38.88 लाख के प्राकल्लन से शुरू किया गया. वर्ष 2011 में शवदाह गृह के निर्माण कार्य के गुणवत्ता पर कई लोगों द्वारा प्रश्न चिह्न खड़ा किया गया, जिसे लेकर विभाग द्वारा डूडा के सहायक अभियंता अनिल कुमार को जांच करने का निर्देश दिया गया. जांच में नक्शा व प्राकल्लन तक मुहैया नहीं कराया गया.
इसकी शिकायत सहायक अभियंता द्वारा की गयी. जानकारी अनुसार पीएचइडी के कार्यरत एजेंसी द्वारा शवदाह गृह को नगर परिषद को हैंडओवर करने के लिए कई प्रकार के जुगाड़ तंत्र भी लगाये गये. लेकिन नगर परिषद ने निर्माण कार्य में गुणवत्ता की अनेदखी की बात कह इसे हस्तगत करने से इनकार करता रहा. नगर परिषद ने पीएचइडी विभाग के कार्यरत एजेंसी द्वारा निर्माण कार्य में बरती गयी अनियमिता की शिकायत तत्कालीन डीएम एम सरवणन से भी की. दो जून 2012 के तत्कालीन इओ राकेश कुमार द्वारा डीएम को दिये गये एक पत्र से इसकी पुष्टि होती है. लेकिन फिर 21 जून 2012 को नगर परिषद के विद्युत पर्यवेक्षक मो कय्यूम को पीएचइडी के कनीय अभियंता द्वारा शवदाह गृह को हस्तगत कराया गया.
तत्कालीन पीएचइडी मंत्री ने किया था उद्घाटन
शवदाह गृह का निर्माण कार्य अभी तक अपूर्ण ही था कि इस बीच तत्कालीन पीएचइडी मंत्री अश्विनी कुमार चौबे द्वारा शवदाह गृह का उद्घाटन कर दिया गया. मंत्री द्वारा शवदाह गृह का उद्घाटन तो करा दिया गया लेकिन शवदाह गृह कब तक चालू होगा यह आज भी संशय में है. वार्ड संख्या 23 स्थित पनार नदी के किनारे शवदाह गृह के निर्माण के लिए मां खड्गेश्वरी काली मंदिर के साधक सरोजानंद जी महाराज उर्फ नानू बाबा ने जमीन दान में दी थी. हालांकि शवदाह गृह के निर्माण में वार्ड की नगर पार्षद अनुराधा देवी की भी अहम भागीदारी रही थी.
नगर परिषद की उपेक्षा
शवदाह गृह निर्माण के छह वर्षों के दौरान अब तक एक भी शव को शवदाह गृह में जलाया नहीं जा सका है. यह विडंबना नहीं तो और क्या है. शवदाह गृह बनाने के लिए कड़ी मशक्कत की गयी थी. लेकिन आज यह प्रशासनिक और नगर परिषद की उपेक्षा का दंश झेल रहा है.
अनुराधा देवी, नगर पार्षद, वार्ड 23
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