सुनो मेरी आवाज. नशीली दवा के कारोबार से चिंतित माताओं ने डीएम से की फरियाद
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छोटे बच्चे हो रहे नशा के िशकार
सुनो मेरी आवाज. नशीली दवा के कारोबार से चिंतित माताओं ने डीएम से की फरियाद जनता दरबार नशीली दवा के कारोबार पर अंकुश लगाने की मांग की डीएम ने कहा उठायेंगे सख्त कदम अररिया : जिले में जहां राज्य सरकार की शराब बंदी योजना पर प्रशासन पूरी तरह अमल कर रहा है. योजना को कुल […]
जनता दरबार नशीली दवा के कारोबार पर अंकुश लगाने की मांग की
डीएम ने कहा उठायेंगे सख्त कदम
अररिया : जिले में जहां राज्य सरकार की शराब बंदी योजना पर प्रशासन पूरी तरह अमल कर रहा है. योजना को कुल मिला कर सफल भी कहा जा सकता है. पर कुछ दवाओं के नशे के रूप में इस्तेमाल का दायरा बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि कोडीन युक्त कफ सीरप व ऐसी अन्य दवाओं के कारोबार को नियंत्रित करने के मामले में जिला पदाधिकारी हिमांशु शर्मा का रवैया बहुत सख्त बना हुआ है. पर कारोबार पर नकेल कसने में अपेक्षित सफलता नहीं मिलती दिख रही है.
जानकारी के मुताबिक फेंसीडिल व कोरेक्स जैसी दवाओं का अवैध कारोबार जिले में अब भी जारी है. नशे के बढ़ते लत ने युवाओं के साथ-साथ अब छोटे बच्चों को भी अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है. ऐसी ही शिकायत लेकर गुरुवार को शहर की कुछ महिलाएं डीएम के जनता दरबार में अपनी फरियाद लेकर पहुंचीं. मिली जानकारी के अनुसार शहर के इसलाम नगर मुहल्ले की कुछ माओं ने डीएम से कहा कि छोटे छोटे बच्चे भी नशे के आदी हो रहे हैं.
बच्चों को नशे के जाल में साजिश के तहत फंसा कर उनका भविष्य बरबाद किया जा रहा है. छोटे बच्चों को कफ सीरप के बजाये कुछ अन्य तरह की चीजों से नशा करने की राह पर डाला जा रहा है. पीड़ितों ने बताया कि छोटे बच्चे गोंद की तरह इस्तेमाल किये जाने कुछ केमिकल का इस्तेमाल नशे के लिए कर रहे हैं. ऐसे केमिकल छोटी छोटी दुकानों पर आसानी से कम कीमत पर मिल जाते हैं. बताया जाता है कि मामले को गंभीरता से लेते हुए डीएम श्री शर्मा ने आश्वस्त किया कि वे इस मामले को खुद से देखेंगे.
गौरतलब है कि जिले में शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक नशीली दवाओं का बड़ा कारोबार चलने का समाचार है. जानकारों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में इस अवैध कारोबार में बेतहाशा वृद्धि हुई है. कारोबार पर नजर रखने वालों का कहना है कि दवा की कई सारी ऐसी दुकानों हैं जो केवल ऐसी ही दवाओं के कारोबार के कारण मुनाफा कमा रही है. बताया जाता है कि गांव देहातों में तो ऐसी दवाएं छोटी छोटी किराना व अन्य दुकानों पर भी आसानी से मिल जाती हैं. शराब क विकल्प के रूप में इसका इस्तेमाल आम बात होती जा रही है.
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