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रास्ता के सवाल पर चली थीं गोलियां

अररिया/फारबिसगंज : वर्ष 2011 के जून माह में एक प्रस्तावित फैक्टरी से जुड़े रास्ता विवाद को लेकर हुई पुलिस फायरिंग मामले में जिले में पदस्थापित तत्कालीन डीएम के अलावा फारबिसगंज के तत्कालीन एसएचओ, बियाडा व उद्योग विभाग के कुछ अधिकारियों पर सरकार अनुशासनिक कार्रवाई कर सकती है. क्योंकि मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक […]

अररिया/फारबिसगंज : वर्ष 2011 के जून माह में एक प्रस्तावित फैक्टरी से जुड़े रास्ता विवाद को लेकर हुई पुलिस फायरिंग मामले में जिले में पदस्थापित तत्कालीन डीएम के अलावा फारबिसगंज के तत्कालीन एसएचओ, बियाडा व उद्योग विभाग के कुछ अधिकारियों पर सरकार अनुशासनिक कार्रवाई कर सकती है.

क्योंकि मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग द्वारा समर्पित जांच प्रतिवेदन का हवाला देते हुए राज्य के गृह विभाग के विशेष सचिव ने कार्रवाई करने के लिए संबंधित विभाग के वरीय अधिकारियों को भेजा है.

सामान्य प्रशासन विभाग व उद्योग विभाग के प्रधान सचिव के साथ-साथ पुलिस महानिदेशक को भेजे गये अलग अलग पत्र में कहा गया है कि तीन जून 2015 को फारबिसगंज के भजनपुर में हुई पुलिस फायरिंग की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग ने अपना जांच प्रतिवेदन 27 नवंबर 2015 को सरकार को समर्पित कर दिया है.
जांच प्रतिवेदन के पारा 243 में की गयी टिप्पणी का हवाला करते हुए कहा गया है कि फैक्टरी के बाउंड्री वाल के निर्माण को लेकर ग्रामीणों व फैक्टरी प्रबंधन के बीच उठे विवाद की जानकारी बियाडा द्वारा दी गयी थी. पर तत्कालीन डीएम एम सरवणन ने विवाद के हल के लिए कोई व्यक्तिगत रुचि नहीं ली. न ही कोई व्यक्तिगत पहल की. अपने स्तर से डीएम ने रास्ता विवाद को सुलझाने में भी दिलचस्पी नहीं ली. न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक तत्कालीन डीएम ने तत्कालीन एसडीओ पर चहारदीवारी निर्माण कराने के लिए दबाव भी बनाया.
विशेष सचिव के पत्र में प्रधान सचिव से तत्कालीन डीएम श्री सरवणन के खिलाफ नियमानुकूल अनुशासनिक कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है. इसी प्रकार उद्योग विभाग को भेजे पत्र में जांच प्रतिवेदन का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि बियाडा को चाहिए था कि वो एक जून 2011 से पूर्व रास्ता विवाद को सुलझा लेता. इसके बाद ही निर्माण कार्य शुरू करना चाहिए था. विशेष सचिव के पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार ने न्यायिक जांच आयोग के मंतव्य को स्वीकार करते हुए बियाडा के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही का निर्णय लिया है.
रामपुर उत्तर पंचायत के भजनपुर गांव से सटे लगभग 35 एकड़ बियाडा अधिकृत भूमि पर निर्माण होने वाले मेसर्स ओरो सुंदरम ग्लूकोज फैक्टरी के बीच से गुजरने वाली सड़क को घेरने के सवाल पर तीन जून 2011 को फैक्टरी परिसर में न केवल आगजनी हुई थी बल्कि पुलिस की गोली से चार लोगों की मौत हुई थी. साथ ही नौ लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. भजनपुर के ग्रामीण उक्त सड़क को पुश्तैनी सड़क बता कर घेरने का विरोध कर रहे थे. तीन जून ऐसा काला दिन था जब सारा फैक्टरी रणक्षेत्र में तब्दील हो गया था. अररिया की तत्कालीन एसपी गरिमा मल्लिक, एसडीओ जीडी सिंह, तत्कालीन थानाध्यक्ष सहित दंडाधिकारी सुनील गुप्ता भी भीड़ में फंस गये थे. इस घटना में चार लोगों की मौत हुई थी,
जिसमें मुस्तफा पिता फटकन, मुख्तार पिता फारुख, नौशाद पिता सदीक, साजमीन खातून पति मो फारुख अंसारी शामिल थे. नौ लोग घायल हुए थे जिसमें जिवछी खातून, रईस अंसारी, सलामत अंसारी, मुजाहिद अंसारी, जुबैर अंसारी, अबादुल अंसारी, तालमुन खातून, मंजूर शामिल थे. घटना के बाद गृह सचिव, आइजी सहित कई बड़े पदाधिकारी गण विभिन्न राजनैतिक, गैर राजनैतिक दलों के राष्ट्रीय, राज्य स्तर के प्रतिनिधि,
अल्पसंख्यक आयोग, मानवाधिकार आयोग, न्यायिक जांच आयोग के पदाधिकारियों का तांता भजनपुर गांव में लगा रहा. चार वर्ष में न जाने कितने मोड़ आये. तब जाकर आज समझौता हो सका. इस समझौते के बाद ना केवल अधिकारी बल्कि ग्रामीण भी संतुष्ट नजर आ रहे हैं.

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