किशनगंज सदर अस्पताल खुद पड़ गया बीमार फोटो 10 केएसएन 7सदर अस्पताल किशनगंज सागर चंद्रा /प्रतिनिधि किशनगंजवर्ष 1910 से ही जिले वासियों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करा रहे स्थानीय सदर अस्पताल प्रशासनिक उदासीनता के कारण आज खुद बीमार होने की कगार पर जा पहुंचा है. हालांकि वर्ष 2006 में इसे अनुमंडल अस्पताल से सदर अस्पताल का दर्जा तो दे मिल गया तथा 100 शैया वाले विशाल भवन का भी निर्माण कर दिया. उस वक्त लघु सिंचाई राज्य मंत्री विश्व मोहन कुमार ने जब विधिवत सदर अस्पताल का उद्घाटन किया था तो जिले वासियों में बेहतर चिकित्सा सुविधा प्राप्त होने की उम्मीद जाग उठी थी परंतु उत्तरोत्तर सुधार के बजाय सदर अस्पताल दिनों दिन प्रशासनिक उदासीनता का शिकार होता चला गया. 31 चिकित्सक की जगह सात चिकित्सक हैं पदस्थापित अब तो स्थिति इतनी खराब हो गयी है कि 31 चिकित्सकों के स्थान पर मात्र सात चिकित्सकों के सहारे ही सदर अस्पताल रोगियों का इलाज करने को विवश है. दवाओं की घोर कमी के साथ रोगियों को प्रदान की जाने वाली अन्य सुविधाओं का घोर अभाव होने के बावजूद आज भी लोगों की आस्था सदर अस्पताल पर बनी हुई है. 2015 में 174765 मरीजों का हुआ इलाज वर्ष 2015 के आंकड़ों पर यदि गौर करें तो वर्ष 2015 में सदर अस्पताल इलाज कराने पहुंचने वाले रोगियों की संख्या 174765 तक पहुंच गयी थी. इनमें इंडोर मरीजों की संख्या जहां 32278 थी वहीं आउटडोर मरीजों की संख्या 126300 थी. जबकि 16187 गंभीर मरीजों का इलाज इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर किया गया तथा मात्र 1216 मरीजों को बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया. इतना ही नहीं 10334 मरीजों को जटिल रोगों का इलाज सफल ऑपरेशन भी भी किया गया तथा जनसंख्या नियंत्रण के लिए 449 महिलाओं का बंध्याकरण भी सफलतापूर्वक किया गया. 5320 महिलाओं का कराया गया सुरक्षित प्रसव वहीं सदर अस्पताल स्थित प्रसव कक्ष की बात करें तो वर्ष 2015 में सदर अस्पताल में 5320 महिलाओं का भी सुरक्षित प्रसव कराया गया. इतना ही नहीं प्रसव के दौरान जटिल समस्याओं से जूझ रही कुल 158 माताओं का सुरक्षित प्रसव शल्य चिकित्सा के माध्यम से कराने में भी चिकित्सक सफल रहे. जबकि टीकाकरण के मामले में भी सदर अस्पताल अव्वल रहा. वर्ष 2015 में जहां 3323 माताओं का टीकाकरण किया गया वहीं 27015 बच्चों का भी टीकाकरण कर सदर अस्पताल ने मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लाने का प्रयास किया. 143 टीबी मरीजों का हुआ इलाज इतना ही नहीं वर्ष 2015 में सदर अस्पताल में 143 टीबी मरीजों के साथ साथ 30 कालाबाजार से पीडि़त मरीज, 25 फ्लेरिया रोग से पीडि़त मरीज व 20 कुष्ठ रोगियों का भी सफलता पूर्वक इलाज कर सदर अस्पताल के चिकित्सकों ने उन्हें नव. जीवन प्रदान कर दिया. ऐसा नहीं है कि सुविधाओं के घोर अभाव का असर इलाज कराने पहुंचे मरीजों पर नहीं पड़ा चिकित्सकों व कर्मियों के मैराथन प्रयास के बावजूद वे 51 रोगियों को नहीं बचा सके. क्या कहते है सिविल सर्जन इस संबंध में सिविल सर्जन डा परशुराम प्रसाद ने कहा कि चिकित्सकों व कर्मियों के घोर अभाव के साथ साथ दवा सहित अन्य सुविधाओं के अभाव से विभाग के वरीय पदाधिकारी को बार बार अवगत कराने के बावजूद भी स्थिति अब तक जस की तस बनी हुई है. उन्होंने कहा कि साफ सफाई के क्षेत्र में स्थानीय सदर अस्पताल पूरे सूबे में अव्वल है. तथा इसे ए ग्रेड सर्टिफिकेट भी प्राप्त है. उन्होंने कहा कि अस्पताल की कमियों को दूर करने का प्रयास जारी है तथा बहुत जल्द किशनगंज सदर अस्पताल पूरे भारत वर्ष में अपनी पहचान बनाने में सफल हो जायेगा.
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किशनगंज सदर अस्पताल खुद पड़ गया बीमार
किशनगंज सदर अस्पताल खुद पड़ गया बीमार फोटो 10 केएसएन 7सदर अस्पताल किशनगंज सागर चंद्रा /प्रतिनिधि किशनगंजवर्ष 1910 से ही जिले वासियों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करा रहे स्थानीय सदर अस्पताल प्रशासनिक उदासीनता के कारण आज खुद बीमार होने की कगार पर जा पहुंचा है. हालांकि वर्ष 2006 में इसे अनुमंडल अस्पताल से सदर […]
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