भीषण दुर्घटना से भी स्कूल प्रबंधन ने नहीं लिया सबक फोटो 19 केएसएन 2 बस के अंदर खड़ी छात्राएंफोटो 19 केएसएन 3 बस के बोनट पर बैठी छात्राएंफोटो 19 केएसएन 4 सेंट जेवियर्स स्कूल की बस नम्बर 4 का हालफोटो 19 केएसएन 5 निजी वाहन में क्षमता से अधिक सवार बाल मंदिर स्कूल के बच्चेफोटो 19 केएसएन 6 महिन्द्रा मैक्सीमो में नहीं लिखा है फोटो 19 केएसएन 7 महिन्दा मैक्सिमो के अंदर देखे बच्चों का हाल बस के बोनट पर बैठने को विवश नौनिहाल बस पर खड़े होकर आने-जाने को विवश छात्रअभिभावकों द्वारा हायर वाहन में भी क्षमता से अधिक बच्चे ढोये जाते हैप्रतिनिधि, किशनगंजभीषण सड़क हादसे में सेंट जेविर्यस स्कूल के छह बच्चों की मौत के बावजूद स्कूल प्रशासन, जिला प्रशासन और अभिभावक किसी ने सबक नहीं लिया है. खास कर वह स्कूल जिसके बच्चे 15 दिन पूर्व ही हादसों का शिकार हुए हो उसके द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ायी जा रही हो इससे अधिक असंवेदनशीलता हो नहीं सकती. शनिवार को सेंट जेवियर्स स्कूल के बसों में सीट से अधिक भेड़ बकरी के तरह बच्चे लदे थे. सीट बेल्ट तो दूर की बात है. कई बच्चे बच्चियां खड़ी थी तो कई बस के बोनट व चालक के आस पास किसी तरह से बैठे हुए थे. मालूम हो विगत तीन दिसंबर को स्कूल से घर जाते वक्त सेंट जेवियर्स स्कूल के बच्चों से भरा बोलेरो एनएच 31 पर पश्चिम बंगाल में एनएच पर ट्रक से टकरा गयी थी, जिसमें पांच बच्चे की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी थी एक बच्चा स्थानीय एमजीएम मेडिकल कॉलेज ले जाने के दौरान रास्ते में ही दम तोड़ दिया था, जबकि 7 बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गये थे. घायल बच्चों का इलाज सिलीगुड़ी में निजी नर्सिंग होम में चल रहा है, जिससे कई बच्चे अब भी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं.हादसे के बाद जिला प्रशासन ने दिये थे कई निर्देश हादसे के बाद जिला प्रशासन भी हरकत में आया और स्कूल संचालन के साथ साथ बैठक कर हिदायत दिये कि ट्रैफिक नियम और सुप्रीम कोर्ट के गाइड लाइन के अनुरूप स्कूली बसों का परिचालन होना चाहिए. जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक दोनों ने स्कूल संचालकों से अलग अलग बैठक कर नियम को सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया था. पुलिस अधीक्षक राजीव रंजन ने कहा कि नियम की अनदेखी करने वाले स्कूलों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी. स्कूल संचालकों ने भी हां में हां मिलाया परंतु दो चार दिन बाद ही स्कूल संचालक अपने पुराने ढर्रे पर आ गये और पुलिस प्रशासन बीती बात समझ कर भूल गये. निजी वाहनों में भी क्षमता से अधिक बच्चे ढोये जाते है दूसरी ओर एक निजी वाहन महिंद्रा मेक्सी को गाड़ी जिसे अभिभावकों द्वारा निजी तौर पर अपने बच्चों को स्कूल से ले जाने व ले जाने के लिए हायर किया गया है. इस गाड़ी में 9 लोगों के बैठने की सीटहै. परंतु उसमें 17 बच्चे सवार थे. सभी बच्चे बाल मंदिर स्कूल से पश्चिम बंगाल स्थित मनोरा अपने घर जा रहे थे. गाड़ी में कहीं भी स्कूल वाहन या यह नहीं नहीं लिखा था कि सावधान गाड़ी में बच्चे है. जबकि पुलिस अधीक्षक राजीव रंजन ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि यदि निजी तौर पर हायर किये गये वाहन जिसमें बच्चे ले जा रहे हो उसमें स्कूल वाहन अवश्य लिखा होना चाहिए. साथ ही उस वाहन में एक अभिभावक अवश्य होना चाहिए. पड़ताल में जो तथ्य सामने आये-स्कूल बस व निजी वाहन जिसमें स्कूली बच्चे ले जाये जा रहे थे दोनों में फस्ट एड बॉक्स नहीं था. -दोनों ही वाहनों में अग्निशमन यंत्र नहीं था-सीट बेल्ट नहीं था.-सीट से अधिक भेड़ बकरी के तरह बच्चे लदे थे.
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भीषण दुर्घटना से भी स्कूल प्रबंधन ने नहीं लिया सबक
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