चचरी पुल के सहारे जीने को विवश हैं ग्रामीण फोटो 19 केएसएन 4चचरी पुल पर पार करते लोग.प्रतिनिधि, टेढ़ागाछटेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र का विकास के सारे वादे खोखले साबिद हो रहे है. 21वीं सदी में भी टेढ़ागाछ प्रखंड के चिल्हिनियां, सोहिया सहित दर्जनों गांवों के लोगों की जिंदगी चचरी पुल के सहारे रेंग रही है. ज्ञात हो कि किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड जिले का सबसे पिछड़ा प्रखंड है. यहां लोग बरसात के मौसम में आने से कतराते हैं. यहां की बदहाली पर आंसू बहाने के सिवाय दूसरा कोई रास्ता नहीं है. जब कोई इनसान बीमार पर जाये तो एंबुलेंस भी नहीं आ सकता. चिल्हानियां पंचायत के हरिमोहन ठाकुर, तारा ऋषिदेव, विजय झा, खुशी लाल मंडल, दीना ऋषिदेव, गणेश पासवान, झड़ी लाल मांझी, गंगा राम आदि का कहना है कि आजादी से लेकर आज तक इस क्षेत्र की बदहाली आइने की तरह साफ झलक रही है. सबसे बड़ी समस्या सुहिया रेतुआ नदी के किनारे बसा इस गांवों के लोग पुल निर्माण की उम्मीद लिए विकास की बाट जोह रहे हैं. यहां के लोगों को रोजमर्रा की वस्तु खरीदने के लिए टेढ़गाछ, फुलवड़िया या फिर कलियागंज बाजार जाना पड़ता है. साथ जिला मुख्यालय आने के लिए बस पकड़ने के लिए चचरी पुल पार कर ही आना पड़ता है. इतना ही इस पंचायत के दर्जनों गांव के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त करने लिए टेढ़ागाछ, अररिया पढ़ने जाते है. यहां की समस्या सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, पुल पुलिया, शौचालय आदि मूलभूत सुविधाओं पर नजर यहां के सांसद या विधायक व प्रशासन टेढ़ागाछ के अतिपिछड़ा पंचायत की ओर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं. 2014 से ही क्षेत्र के सांसद, विधायक यहां के लोगों को पुल निर्माण का आश्वासन देते आ हरे हैं. परंतु, यहां के लोगों को आज तक पुल नसीब नहीं हुआ.
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चचरी पुल के सहारे जीने को विवश हैं ग्रामीण
चचरी पुल के सहारे जीने को विवश हैं ग्रामीण फोटो 19 केएसएन 4चचरी पुल पर पार करते लोग.प्रतिनिधि, टेढ़ागाछटेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र का विकास के सारे वादे खोखले साबिद हो रहे है. 21वीं सदी में भी टेढ़ागाछ प्रखंड के चिल्हिनियां, सोहिया सहित दर्जनों गांवों के लोगों की जिंदगी चचरी पुल के सहारे रेंग रही है. ज्ञात […]
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