जिसके फलस्वरूप सोमवार की सुबह से ही दुकानों को खाली करवाया जाने लगा. रविवार को मधेशी आंदोलनकारी तथा नेपाल पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद भारत तथा नेपाल दोनों देशों के वरीय अधिकारियों ने घटना स्थल का जायजा लिया था.
इस दौरान पाया गया कि नो मैंस लैंड पर लगायी गयी दुकानें दोनों देशों के अधिकारियों के लिए विधि व्यवस्था के संचालन में परेशानी खड़ी कर रहा है.
इसलिए दोनों देशों के अधिकारियों ने भारत व नेपाल के नो मेंस लैंड में पड़ने वाले फल की दुकानों को हटाने का निर्णय लिया. सोमवार की सुबह नेपाल पुलिस द्वारा फल की दुकानों को हटाने के क्रम में फल व्यवसायियों ने विरोध किया. इस दौरान कुछ लोगों द्वारा भारतीय क्षेत्र में नेपाली नंबर की गाडि़यों और नेपाली नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की जाने लगी जिसे एसएसबी के जवानों द्वारा भगा दिया गया.
जिसके बाद भारतीय क्षेत्र के व्यवसायी एकजुट होकर एसएसबी और नेपाल पुलिस से सौहार्द और शांति बनाये रखने में मदद करने की मांग की. साथ ही यह भी मांग की गयी कि पुलिस द्वारा आने-जाने वाले लोगों को बिना वजह तंग न किया जाय. क्योंकि दोनों ही देशों के व्यवसायी एक दूसरे के ग्राहकों पर ही निर्भर है.
नेपाल पुलिस के जवानों ने जहां अतिक्रमित दुकानों को हटाने का काम खुद किया वहीं भारतीय क्षेत्र में पड़ने वाली दुकानों को स्वयं दुकानदारों ने ही पुलिस के कहने पर हटा लिया. ज्ञात हो कि ये नो मेंस लैंड में फल की दुकानें 35-40 सालों से चल रही थी. लेकिन इन्हें उजाड़ दिये जाने के बाद अब इनके रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है.