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… आब हमरा के देतै सहारा, कोई हमरा बेटा के उठाय दे हो भैया

फारबिसगंज: फारबिसगंज-रानीगंज मुख्य मार्ग के स्कूल चौक महादलित टोला परवाहा के समीप सड़क दुर्घटना में मरने वाले 25 वर्षीय चंद्रदेव ऋषिदेव के शव से लिपट कर उसकी बूढ़ी व नेत्रहीन मां मसोमात बेचनी देवी जमा भीड़ चीत्कार मार कर फरियाद कर रही थी. वह कह रही थी कि कोई हमारा बेटा के उठाय दे हो […]

फारबिसगंज: फारबिसगंज-रानीगंज मुख्य मार्ग के स्कूल चौक महादलित टोला परवाहा के समीप सड़क दुर्घटना में मरने वाले 25 वर्षीय चंद्रदेव ऋषिदेव के शव से लिपट कर उसकी बूढ़ी व नेत्रहीन मां मसोमात बेचनी देवी जमा भीड़ चीत्कार मार कर फरियाद कर रही थी. वह कह रही थी कि कोई हमारा बेटा के उठाय दे हो भैया, अब हमरा के देतै सहारा. शव से लिपट कर रोने वाले चंद्रदेव के भांजा की चीत्कार भी लोगों के आंख नम कर रही थी.

बताया जाता है कि चंद्रदेव ऋषिदेव ही अपनी नेत्रहीन मां का एक मात्र सहारा था. चंद्रदेव पांव से नि:शक्त था. उसका एक भाई पूर्व से ही लापता है. चंद्रदेव की शादी तीन वर्ष पूर्व गोर्राहा में हुई थी, उसकी पत्नी मायके में ही रहती है.

ग्रामीणों की मानें तो मंगलवार को दोनों मां-पुत्र स्थानीय थाना परिसर में लगे पेंशन शिविर से पेंशन राशि उठा कर आये थे और बहुत खुश थे, पर न जाने उनकी खुशी को किसकी नजर लग गयी, और नेत्रहीन मां का इकलौता पुत्र ही चल बसा. चंद्रदेव ऋषिदेव की मौत से ग्रामीण भी मर्माहत दिखे.

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