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15 हजार नौनिहाल बने हैं खानाबदोश

अररिया: जिले में 519 नवसृजित प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति दयनीय है. भवन के अभाव में ये विद्यालय कभी यहां तो कभी वहां संचालित होते हैं. इसके कारण लगभग 15 हजार छात्र-छात्रओं की हालत खानाबदोश की तरह है. इन नौनिहालों को कभी इस दरवाजे तो कभी उस दरवाजे पर संचालित विद्यालय में पढ़ना पड़ता है. दर्जनों […]

अररिया: जिले में 519 नवसृजित प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति दयनीय है. भवन के अभाव में ये विद्यालय कभी यहां तो कभी वहां संचालित होते हैं. इसके कारण लगभग 15 हजार छात्र-छात्रओं की हालत खानाबदोश की तरह है. इन नौनिहालों को कभी इस दरवाजे तो कभी उस दरवाजे पर संचालित विद्यालय में पढ़ना पड़ता है. दर्जनों विद्यालय ऐसे भी हैं जहां बच्चों की कक्षा पेड़ के छांव तले लगती है. घने कुहरे, तेज धूप, ठंडी हवा या बारिश के बीच बच्चों को पढ़ाई करनी पड़ती है. ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात बेमानी है. हालांकि प्रशासनिक पहल व जनप्रतिनिधि के सहयोग से इसमें से 107 विद्यालयों को भूमि उपलब्ध हो पायी है, जहां अब भवन का निर्माण होना है. वहीं 412 नवसृजित विद्यालय को अब तक भूमि भी नहीं मिल पायी है.
अभिभावक भी हैं परेशान : इन नवसृजित विद्यालय का भवन नहीं रहने के कारण यहां नामांकित छात्रों के साथ-साथ इनके अभिभावकों भी परेशान हैं. सक्षम अभिभावक बेहतर भविष्य के लिए अपने बच्चों को निजी विद्यालय में पढ़ा रहे हैं.
एमडीएम संचालन में होती है परेशानी
भवनहीन नवसृजित विद्यालयों में मध्याह्न् भोजन योजना चलाना भी एक बड़ी समस्या है. अपना भवन नहीं रहने के कारण मध्याह्न् भोजन का चावल शिक्षकों को या तो अपने घर में रखना पड़ता है या फिर किसी ग्रामीण के घर में रखना पड़ता है. कभी-कभी इसके रख रखाव को लेकर विवाद भी उत्पन्न हो जाता है.

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