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फर्जी पासपोर्ट प्रकरण के पुलिसिया जांच पर उठ रहे सवाल

फारबिसगंज. स्थानीय चौरा परवाहा निवासी मो मजेबुल पिता मो मुस्तकीम के नाम पता के फर्जी कागजात के सहारे फर्जी पासपोर्ट बनवाने वाले बंगला भाषी रहीम को खोजने में स्थानीय पुलिस अब तक नाकाम साबित हुई है. घटना के एक पखवाड़ा बीतने के बाद भी फारबिसगंज पुलिस, रहीम कौन है और कहां का रहने वाला है […]

फारबिसगंज. स्थानीय चौरा परवाहा निवासी मो मजेबुल पिता मो मुस्तकीम के नाम पता के फर्जी कागजात के सहारे फर्जी पासपोर्ट बनवाने वाले बंगला भाषी रहीम को खोजने में स्थानीय पुलिस अब तक नाकाम साबित हुई है. घटना के एक पखवाड़ा बीतने के बाद भी फारबिसगंज पुलिस, रहीम कौन है और कहां का रहने वाला है व फर्जी पासपोर्ट बनाने के उनके मकसद पर से रहस्य का परदा उठाने में नाकाम रही है. फर्जी पासपोर्ट प्रकरण की खबर, प्रभात खबर में प्रमुखता से छपने के बाद स्थानीय पुलिस जिस सक्रियता से प्रकरण के मास्टर माइंड मो अकबर, गवाह समीर, शहाबुद्दीन व सोनू साइवर कैफे के मालिक को प्राथमिकी दर्ज कर जेल भेज दिया था. पुलिस इसे ही अपनी सफलता मान बैठी है. अब लोगों में यह चर्चा आम हो गयी है कि पुलिस आंतरिक सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण मसला को लेकर उदासीन बना हुआ है. प्रबुद्धजनों की माने तो फर्जी पासपोर्ट प्रकरण में पुलिसिया जांच पर भी उंगली उठने लगी है. फर्जी पासपोर्ट प्रकरण में मास्टर माइंड सहित गवाह कैफे मालिक कागजात के सहारा रहीम ने कैसे बना लिया. पासपोर्ट क्या जांच के मापदंड नियमानुसार पूर्ण किया गये थे. वास्तव में धन्यवाद के पात्र तो डाक विभाग है जिसने फर्जी पासपोर्ट को सही मजेबुल के पास पहुंचा दिया. यदि यह फर्जी पासपोर्ट बंगला भाषी रहीम के हाथ लगता तो इतने बड़े मामले का उद्भेदन तक नहीं हो सकता. बहरहाल रहीम के तलाश में तमिलनाडु गयी पुलिस भी अब कुछ भी बताने से कतरा रही है. सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि फर्जी पासपोर्ट प्रकरण में पुलिस के आलाधिकारी भी कुछ भी बताने से कतरा रहे हैं.

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