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दहेज का सामाजिक बहिष्कार आवश्यक

कुर्साकांटा: प्रखंड के गरैया में दो दिवसीय जलसा का समापन रविवार को दुआ के बाद हुआ. गुरुवार को जोहर के नमाज के बाद आरंभ हुए इस जलसे में कई राज्यों के मौलाना व चतुर्वेदी ने भाग लिया व अपनी तकरीर दी. देवबंद उत्तर प्रदेश के मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि दहेज प्रथा का चलन […]

कुर्साकांटा: प्रखंड के गरैया में दो दिवसीय जलसा का समापन रविवार को दुआ के बाद हुआ. गुरुवार को जोहर के नमाज के बाद आरंभ हुए इस जलसे में कई राज्यों के मौलाना व चतुर्वेदी ने भाग लिया व अपनी तकरीर दी. देवबंद उत्तर प्रदेश के मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि दहेज प्रथा का चलन हर जाति में कोढ़ के समान है.
अल्लाह की नेमत पाने के लिए इसलाम में दहेज न तो लेनी चाहिए और न ही देनी चाहिए. दहेज प्रथा को रोकने के लिए इसका सामाजिक बहिष्कार भी आवश्यक है. बेंगलुरु से आये मौलाना लुफ्तउल्लाह मजहर रशीद इमामु खातिब ने शराब के सेवन को इसलाम के लिए हराम की संज्ञा देते हुए कहा कि इसलाम धर्म में नशा पूरी तरह से प्रतिबंधित है.

इसके बावजूद मुसलिमें में इसका प्रचलन तीव्रता से बढ़ रही है. आज नशे के लिए लोग तरह-तरह के पदार्थ का प्रयोग कर रहे हैं. जोकीहाट से आये मौलाना अब्दुल सालीम चतुर्वेदी ने चारों वेदों पर चर्चा करते हुए वेदों के सार्थक पहलू पर तकरीर दी. जलसा के आयोजन में मदरसा कंजूल उलूम गरैया के नादिम अब्दुल वारिस कासमी का महत्वपूर्ण योगदान रहा.कुआड़ी के मौलाना कारी सुलेमान, कारी कमरूज्जमा, उत्तरप्रदेश के मौलाना मुफ्ती खुर्शीद साह, मुंबई के मौलाना सादिक साहेब आदि ने भी तकरीर दी.

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