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टेंशन के आगे जिंदगी की कीमत भी पड़ रही छोटी

जिले में लगभग रोजाना घरेलू विवाद में आत्महत्या का होता है प्रयास धैर्य खोते युवाओं में नहीं रहा प्रेशर झेलने की ताकत पुरुष, महिलाएं व बच्चें भी घरेलू विवाद में मानसिक संतुलन खोकर दे रहे हैं अपनी जान अररिया में नहीं है मानसीक रोग विशेषज्ञ चिकित्सक हेमंत कुमार हीरा, अररिया : टेंशन के आगे लोगों […]

  • जिले में लगभग रोजाना घरेलू विवाद में आत्महत्या का होता है प्रयास
  • धैर्य खोते युवाओं में नहीं रहा प्रेशर झेलने की ताकत
  • पुरुष, महिलाएं व बच्चें भी घरेलू विवाद में मानसिक संतुलन खोकर दे रहे हैं अपनी जान
  • अररिया में नहीं है मानसीक रोग विशेषज्ञ चिकित्सक
हेमंत कुमार हीरा, अररिया : टेंशन के आगे लोगों की जिंदगी छोटी पड़ती जा रही है. लोग अपने जिंदगी को असमय ही मौत देने पर उतारू होते जा रहे हैं. जिले में कई लोगों की आत्महत्या के प्रयास की खबर सभी के जुबान पर है. शहर के बुद्धिजीवी वर्ग जिले में आत्महत्या के बढ़ते प्रयास की घटनाओं से चिंतित हैं. घरेलू विवाद, पढ़ाई के टेंशन, लव अफेयर लोगों को आत्महत्या के प्रति उकसा रहे हैं. नतीजा रोजाना किसी न किसी विवाद को लेकर महिला, पुरुष व बच्चे भी जहर या फिर अन्य उपायों की तलाश कर अपनी जान दे रहे हैं.
विषपान से संबंधित ज्यादातर मामले सदर अस्पताल में पहुंच रहे हैं. हालांकि मौत को समस्या का समाधान मानने वालों में ज्यादातर अशिक्षित लोग होते हैं.आत्महत्या का प्रयास कर पुलिस से भी बचने का करते हैं प्रयास : घरेलू विवाद में जहर खाने के बाद कुछ लोग पुलिस से बचने के लिए निजी अस्पताल का सहारा लेते हैं. सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार सदर अस्पताल से अधिक लोग जहर खाने के बाद निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए जाते हैं.
सदर अस्पताल तक वैसे ही मरीज पहुंचते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती है. जो आर्थिक रूप से संपन्न होते हैं वे इलाज के लिए निजी चिकित्सकों या निजी अस्पताल में पहुंचते हैं. हालांकि ऐसा वह पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए भी करते हैं. इधर अगर पुलिस को मामले का पता चलता है तो ज्यादातर मामले में यूडी केस दर्ज कर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है. हालांकि सरकारी अस्पतालों में जहर पीड़ित व्यक्ति जब इलाज के लिए पहुंचते हैं तो इसकी सूचना अस्पताल प्रबंधन के द्वारा ओडी स्लिप भेज कर थाना को दे दी जाती है. जिसके बाद पुलिस पहुंच कर पूछताछ करती है.
इस वर्ष घरेलू विवाद में कई लोग कर चुके आत्महत्या :: बताया जाता है कि टिकुलिया गांव में कुछ महीने पूर्व मैनी देवी नामक महिला ने गले में फंदा डालकर आत्महत्या कर लिया. आत्महत्या का कारण घरेलू विवाद बताया जा रहा है. इसी वर्ष बोकंतरी निवासी एक 25 वर्षीय युवक रोहित कुमार ने परिवारिक विवाद के कारण गले में रस्सी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर लिया.
रोहित कुमार की आत्महत्या करने का मामला पारिवारिक विवाद ही बताया जा रहा है. बसगारा रामपुर में भी पति पत्नी ने फांसी लगा लिया था. जिससे पत्नी समीना की मौत इलाज के दौरान हो गई थी. इस विवाद में भी फांसी लगाने के कारण घरेलू विवाद ही बताया गया था.
प्रयास के बाद इलाज के लिए आते हैं सदर अस्पताल
बताया जाता है कि सदर अस्पताल में रोजाना जहर खाकर आत्महत्या का प्रयास करने के बाद इलाज के लिए सदर अस्पताल में आते हैं. सदर अस्पताल में आये दर्जनों पीड़ित मरीज में अधिकांश लोग ग्रामीण क्षेत्र के बताए जाते हैं. जानकारों के माने तो ग्रामीण क्षेत्रों में शहर के अनुपात में शिक्षा की कमी है. इसलिए लोग छोटे से छोटे घरेलू विवाद में भी जहर खा कर अपनी इहलीला को समाप्त करना चाहते हैं. ऐसे में अगर सदर अस्पताल में कोई भी व्यक्ति जहर खाकर ससमय इलाज के लिए नहीं आ पाता है तो उसे चिकित्सक भी नहीं बचा पाते हैं.
अररिया में नहीं हैं मानसिक रोग विशेषज्ञ चिकित्सक
अररिया को जिला बने 30 वर्ष हो चुका है. इसके बावजूद भी सदर अस्पताल में या पूरे जिले में एक भी मानसिक रोग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है. मानसिक रोग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं रहने के कारण लोगों में काफी परेशानी होती है. बताया जाता है कि अगर जिला में एक भी मानसिक रोग विशेषज्ञ चिकित्सक होता तो इससे यह पता लगाया जाता कि अररिया जिला में लगभग एक ना एक व्यक्ति आत्महत्या का प्रयास क्यों कर रहे हैं. जानकारी यह भी बताते है कि जिले में रोज लोग जहर खा कर अपने जान देने को लिए क्यों ऊतारू होते हैं.
आत्महत्या का कारण मानसिक अस्थिरता
अररिया जिला में एक भी मानसिक रोग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं. जिसकी मांग विभाग से की गयी है. जबकि कोई भी व्यक्ति घरेलू विवाद में जहर खाकर आत्महत्या का प्रयास करने के बाद इलाज के लिए सदर अस्पताल या अन्य सरकारी अस्पताल में आता है तो, उसका इलाज तो होता ही है. इलाज के साथ- साथ इसकी सूचना ओडी स्लिप भेजकर पुलिस को भी दी जाती है. उन्होंने बताया कि ज्यादातार आत्महत्या के मामने मानसिक अस्थिरता का परिचायक है. ऐसे मामलों का बढ़ता प्रचलन चिंता का विषय है.
डॉक्टर सुरेश प्रसाद सिंहा, सीएस

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