अररिया : जिले में चितल मछली के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा संचालित अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण कार्यक्रम के तहत मत्स्य पालक किसानों के बीच चीतल मछली के बीज का विरतण सोमवार को किया गया. कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान विभिन्न प्रखंड के दस किसानों के बीच पांच हजार मछली के बीजों का विरतण किया गया. इस क्रम में केवीके सभागार में चितल मछली के पालन को लेकर एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया.
चितल मछली पालन को लेकर आयोजित प्रशिक्षण में केवीके के मत्स्य वैज्ञानिक डॉ रवींद्र जलज ने जानकारी देते हुए कहा कि चितल मछली का बोटनिकल नाम नोटोपेटेरश चिताला है. जो मुख्य रूप से छोटे कीड़े मकोड़े और छोटी मछलियों को खा कर जिंदा रहता है. चितल का पालन अन्य मछली के साथ भी संभव है. चितल मछली वाले पोखर में बड़े आकार के रेहु, कतला, मीरका आदि मछली डाली जा सकती है. चितल बड़े आकार की मछलियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है.
चितल वाले जलस्त्रोत में उनके आहार के लिए छोटी मछलियां मवई, पोठी, झिंगा का डाला जाना अनिवार्य है. ताकि चितल इसके अंडे, बीज इत्यादी का भोजन के रूप में उपयोग कर जीवित रह सके. मत्स्य वैज्ञानिक ने कहा कि बीते साल ट्रायल के रूप में कुछ किसानों को इसका बीज उपलब्ध कराया गया था. इसका परिणाम बेहतर रहा. इस कारण चितल पालन को बढ़ावा देने के लिए जिले के दस किसानों को प्रति किसाल पांच सौ बीज के हिसाब से पांच हजार बीज का वितरण किया जा रहा है. मछली का बीज प्राप्त करने वाले किसानों में प्रमोद झा, मो तफजूल, कत्तनलाल विश्वास, बिपिन मंडल आदि शामिल हैं. जानकारी अनुसार चितल मछली के बीज साहेबगंज से मंगाये गये हैं. बीज वितरण कार्यक्रम के दौरान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ बीके मिश्रा, डॉ अनिल कुमार, डॉ पीके सिन्हा, डॉ जावेद इदरिश व अन्य मौजूद थे.