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दिनेश राठौर की जेल से चलती थी हुकूमत, 52 मामलों में है आरोपित

अररिया : वर्ष 2002 में मारपीट व हत्या के दो मामलों में जब दिनेश राठौर आरोपित बना था तो जिले की पुलिस को इस बात का तनिक भी अाभास नहीं था कि आने वाले दिनों में दिनेश राठौर अापराधिक वारदातों का पहाड़ा खड़ा कर देगा. वर्ष 2002 तक अररिया के ताराबाड़ी, किशनगंज के कोचाधामन व […]

अररिया : वर्ष 2002 में मारपीट व हत्या के दो मामलों में जब दिनेश राठौर आरोपित बना था तो जिले की पुलिस को इस बात का तनिक भी अाभास नहीं था कि आने वाले दिनों में दिनेश राठौर अापराधिक वारदातों का पहाड़ा खड़ा कर देगा. वर्ष 2002 तक अररिया के ताराबाड़ी, किशनगंज के कोचाधामन व पलासी थाना क्षेत्र में लगभग एक दर्जन आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया. तत्कालीन डीएसपी डॉ संजय भारती ने एक टीम गठित कर राठौर को पूर्णिया से गिरफ्तार करने में सफलता पायी थी.
गिरफ्तारी के बाद जब वह जेल पहुंचा तो वहां भी उसकी नीयत में अपराध करना स्पष्ट झलकता रहा. जेल में रहकर ही वह अपने गुर्गों से अपराध की वारदातों को अंजाम देकर पुलिस के लिए सिरदर्द बना रहा. उसके गुर्गों में युवाओं की फौज थी. इस दौरान वह जिले के व्यवसायी, ठेकेदार व अन्य लोगों से रंगदारी वसूल करवाने लगा. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जेल में रहते हुए ही उसके ऊपर 50 से अधिक मामले दर्ज किये गये. इनमें सीमांचल कंस्ट्रेक्शन के मालिक से रंगदारी, राजू स्टोर में बम धमाका, हटिया रोड स्थित एक कपड़ा के थोक व्यवसायी पर गोली चलवाना, फारबिसगंज के व्यवसायी से रंगदारी मांगना, एपीपी सह भाजपा नेता देवनारायण मिश्रा की हत्या करवाना, भोजपुर के बीड़ी पुल व आसपास के क्षेत्र में कई बार फायरिंग कर दहशत फैलाना राठौर के कारनामों में शुमार रहा है. वर्ष 2011 के नवंबर माह के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट एवं अन्य के 30 से अधिक मामलों में राठौर को साक्ष्य के अभाव में जमानत दे दी गयी. इसके बाद भी लगभग 22 मामले में उसके विरुद्ध चलते रहे.
खास बातें
तत्कालीन डीएसपी ने टीम गठित कर पूर्णिया से किया था दिनेश राठौर को गिरफ्तार
जेल में बंद रहने के बावजूद दो छोटे भाई विनोद व विजय के सहारे था अपराध की दुनिया में सक्रिय
अभी भी 08-09 मामलों में चल रहा है स्पीडी ट्रायल
वर्ष 2002 से 2003 तक खुद से रहा अपराध की दुनिया में सक्रिय
2003 से अब तक उसके भाई व गुर्गों से कराता था अपराध
बीते दिनों पूर्णिया के कुख्यात बिट्टू सिंह गिरोह के सक्रिय अपराधी के रूप में काम कर रहे विनोद की नेपाल से हुई थी गिरफ्तारी
16 साल बाद उसके पहले ही हत्या के मामले में शनिवार को जब आजीवन कारावास व 20 हजार अर्थ दंड की सजा सुनायी गयी तो मृत बासो यादव के परिजनों ने चैन की सांस ली.
भाई संभाले रहा उसके अपराध का साम्राज्य
जेल में रहने के बाद भी राठौर के आन-बान-शान को देखते हुए उसके छोटे भाई विनोद व विजय राठौर ने भी अपराध की दुनिया में हलचल मचाये रखा. कुछ दिनों तक दिनेश की कमान विनोद संभालता रहा. लेकिन वह भी जब पुलिस के हत्थे चढ़ बैठा तो सबसे छोटे भाई ने गिरोह की कमान संभाल ली. इन पर विभिन्न जगह सड़क लूट, बाइक लूट, रंगदारी के मामले दर्ज हुए. जब तक विजय पुलिस के गिरफ्त में आता तब तक उसके विरुद्ध भी एक दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किये गये. एपीपी हत्याकांड में भी विजय राठौर ने ही मुख्य निभायी थी ऐसा खुद उसने ही पुलिस के समक्ष कबूल किया था.
नेपाल से हाल में ही गिरफ्तार किया गया था विनोद राठौर
अररिया में पुलिस की सख्त निगेहबानी के कारण विनोद ने अपने अपराध की दुनिया पूर्णिया में बसायी. वह पूर्णिया पुलिस के लिए सिरदर्द बना अपराधी बिट्टू सिंह गिरोह का मुख्य शूटर माना जाने लगा. वह बिट्टू सिंह के इशारे पर पूर्णिया के व आस-पास के जिले में आपराधिक वारदातों को अंजाम देता रहा. पुलिस के डर से वह नेपाल में अपनी पत्नी व साला के साथ रहने लगा. 26 अप्रैल के आस-पास वह, उसकी पत्नी व साला के साथ नेपाल पुलिस के हत्थे चढ़ गया. कहा जाता है कि उसकी गिरफ्तारी में पूर्णिया के तत्कालीन एसपी निशांत तिवारी द्वारा नेपाल पुलिस व काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास को दी गयी. हालांकि उसे भारत लाने के लिए पूर्णिया पुलिस इंटरपोल की मदद ले रहा है. ऐसी जानकारी मिल रही है. पूर्णिया के केहाट थाना कांड संख्या 80/18 व केहाट थाना कांड संख्या 16/18 में भी वह नामजद अभियुक्त है, जिसके अंतर्गत न्यू पटना फर्नीचर व्यवसायी व बस स्टैंड में गोलीबारी की घटना में वह बिट्टू सिंह के साथ शामिल था.
दिनेश राठौर को सजा मिलने से पुलिस के प्रति आमलोगों का बढ़ा विश्वास : एसपी
अररिया : कुख्यात अपराधी दिनेश राठौर को सजा मिलने से पुलिस के प्रति आम जनता का विश्वास बढ़ा है. आसपास के जिलों में हर्ष का माहौल है. अन्य अपराधकर्मियों में भी दहशत है. उक्त बातें एसपी धूरत शायली ने न्यायालय द्वारा दिनेश राठौर को आजीवन कारावास की सजा सुनाये जाने के बाद पत्रकारों से कही. उन्होंने कहा कि कुख्यात अपराधी राठौर जिले के विभिन्न थानों में हत्या, लूट, डकैती, गृहभेदन, रंगदारी, आर्म्स एक्ट व चोरी के 52 मामलों में आरोपित है. अभी भी उस पर 08 से 09 मामलों में स्पीडी ट्रायल चल रहा है. कहा कि अपराधी राठौर वर्ष 2003 से ही काराधीन है. काराधीन रहते हुए भी अररिया जिले में इसके ऊपर दर्ज कांडों के गवाहों को धमकाने का कार्य किया जाता था. जिससे गवाही कार्य में बाधा उत्पन्न होती थी. अपराधी द्वारा पूर्व में भी जो अपर लोक अभियोजक जो इस वाद को देख रहे थे, उनकी हत्या कोर्ट परिसर में ही कर दी गयी थी. जब से कोई भी लोक अभियोजक व अपर लोक अभियोजक सही तरीके से कार्य नहीं कर पाते थे. पुरे जिले व जिले के आसपास के जिलों में इसका काफी दहशत बना हुआ था.

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