टाउन हॉल मैदान में गुरुवार को दिवंगत सांसद तस्लीमुद्दीन का जन्मदिवस मनाया गया. सीमांचल विकास मोर्चा के बैनर तले आयोजित समारोह गैर राजनीतिक था. इसमें सभी दल के लोग शामिल हुए. जदयू की ओर से मंत्री श्रवण कुमार आये तो राजद की ओर से विधायक अिनल यादव भी पहुंचे. कार्यक्रम में राजद के वरीय नेता अब्दुल बारी सिद्दिकी नहीं पहुंचे लेकिन उनका संदेश पढ़ कर सुनाया गया. समारोह में सर्वसम्मति से सरफराज को तस्लीमउद्दीन का राजनीतिक वारिस घोषित किया गया.
उनके चुनाव लड़ने की घोषणा मंच से तो नहीं हुई लेकिन उनका लोस उपचुनाव लड़ना तय माना जा रहा है. वैसे, सीमांचल विकास मोर्चा के अध्यक्ष वीके ठाकुर की मानें तो सरफराज लोकसभा उपचुनाव लड़ेंगे पर किस दल से, यह उन पर निर्भर करता है. वह जिस भी दल से चुनाव लड़ें, मोर्चा उनके साथ है.
अररिया : टाउन हॉल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में सूबे के संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने दिवंगत सांसद तस्लीमुद्दीन के तस्वीर पर श्रद्धासुमन अर्पित किया. इसके बाद उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि तस्लीम साहब गरीबों, दबे व शोषितों की आवाज थे. हमेशा सीमांचल के विकास के लिए आवाज उठाते रहते थे. सिसौना से दिल्ली तक पांच दशकों का बेदाग सियासी सफर ने उन्हें सीमांचल गांधी बना दिया. उन्होंने कहा कि उनके जनाजे में उमड़े जनसैलाब को देख उनका भी दिल भर आया था.
उस भीड़ में धर्मनिरपेक्षता और स्नेह का जनसैलाब उन्हें अभिभूत कर दिया था. उन्होंने कहा कि उनके अधूरे सपने को पूरा करने के लिए क्षेत्रीय विधायकों के साथ बातचीत कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक मामले को प्रस्तावित किया जायेगा. उन्होंने भरोसा दिलाया कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार वही कर रही है जो तस्लीम साहब का ख्वाब था. किसी घर में अंधेरा न हो, सभी को अच्छी सड़कें, शुद्ध पेयजल मिले, तालीम से कोई वंचित न रहे. ये तमाम काम सूबे की सरकार कर रही है.
मंत्री श्रवण कुमार ने उनके साथ बीते दिनों के कई संस्मरण का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि उनका फोन आने पर भय होता था कि चाचा पता नहीं क्या कहेंगे. लेकिन फोन पर गरीबी-फटेहाली-बदहाली का वास्ता देकर पुल-पुलिया निर्माण का काम करा लेते थे. काम लेने का उनका अंदाज और आवाज में एक दर्द भरा कशिश हम कभी नहीं भुला पायेंगे. इस मौके पर विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी ने तस्लीम साहब सीमांचल के इज्जत-आबरू थे. निर्भीकता व बेबाकीपन उनकी पहचान थी. सियासत में युद्ध का मैदान व तिथि विरोधी से तय करवाते थे. लेकिन जीत का परचम उनके हाथ ही होता था. समन्वय करने की कला अद्भुत थी.
उन्होंने उनके साथ बिताये क्षणों को याद कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. जदयू के वरीय नेता महमूद अशरफ ने कहा कि उनकी बेबाकीपन और विपरीत परिस्थितियों में जूझने व मैदान जीतने की तरकीब को भुलाया नहीं जा सकता है. वे सेकुलर ताकतों के असली रहनुमा थे. विधायक अनिल कुमार यादव, मास्टर मोजाहिद, जाप के जिलाध्यक्ष बालकृष्ण झा, जिप अध्यक्ष आफताब अजीम, कांग्रेस जिलाध्यक्ष अनिल कुमार सिन्हा,
राजद जिलाध्यक्ष कमरूजमा, तसलीमुद्दीन के आप्त सचिव रहे पोलो झा, राजद नेता सब्बीर आलम, तस्लीमुद्दीन के छोटे पुत्र शाहनवाज आलम, सरफराज आलम के पुत्र गुलाब आलम, दामाद ई अब्दुर्रहमान, मोर्चा के अध्यक्ष बीके ठाकुर, राजद नेता कमल किशोर यादव, उस्मान गनी, इंतखाब आलम बबलू सहित दर्जनों लोगों ने तस्लीमउद्दीन क व्यक्तित्व पर चर्चा की. मंच का संचालन आवामी शायर हारुण रशीद गाफिल ने किया, जबकि कार्यक्रम का समापन विधायक जोकीहाट सरफराज आलम के संबोधन से समाप्त हुआ. 11 बजे से शुरू यह कार्यक्रम शाम चार बजे समाप्त हुआ.
कार्यक्रम में पूर्णिया, अररिया, कटिहार से तस्लीमुद्दीन को चाहने वालों की भारी भीड़ जुटी थी. कार्यक्रम में सीमांचल के सभी जिलों से तस्लीमउद्दीन के चाहनेवाले जुटे थे. हालांकि कार्यक्रम में भाजपा के कोई नेता नहीं दिखे, जबकि जदयू के मंत्री सहित कई स्थानीय नेता भी कार्यक्रम में दिखे.