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बाजार में यूरिया नदारद, किसान हो रहे परेशान

अररिया : सरकार के निर्देशानुसार जिले में रसायनिक खाद बिक्री की नयी व्यवस्था एक जनवरी से ही लागू हो गयी है. पांच सौ से अधिक विक्रेताओं को पीओएस मशीन न केवल उपलब्ध करा दिया गया है. जिला कृषि विभाग ने एक जनवरी को डीएम के हाथों नयी डीबीटी सिस्टम का शुभारंभ भी करवा दिया. दावा […]

अररिया : सरकार के निर्देशानुसार जिले में रसायनिक खाद बिक्री की नयी व्यवस्था एक जनवरी से ही लागू हो गयी है. पांच सौ से अधिक विक्रेताओं को पीओएस मशीन न केवल उपलब्ध करा दिया गया है. जिला कृषि विभाग ने एक जनवरी को डीएम के हाथों नयी डीबीटी सिस्टम का शुभारंभ भी करवा दिया.

दावा किया गया था कि नयी तकनीक के इस्तेमाल से किसानों को उचित निर्धारित मूल्य पर डीएपी व यूरिया आदि मिलने लगेगा. पर तीन दिन गुजर जाने के बाद भी नये सिस्टम का कोई प्रभाव होता नहीं दिख रहा है.
निर्धारित मूल्य को ले हो रही है परेशानी : वहीं एक बड़ी दिक्कत यूरिया के निर्धारित मूल्य को लेकर है. विक्रेताओं का कहना है कि पीओएस मशीन के माध्यम से खाद बिक्री पर सरकारी दर पर ही किसानों भुगतान करेगा. यूरिया का निर्धारित दर 295 रुपया प्रति बैग है. पर दिक्कत ये है कि एजेंसी से इस रेट पर दुकानदारों को यूरिया उपलब्ध नहीं हो पाता है. लिहाजा अधिक भुगतान कर कम रेट पर यूरिया बेचना मुमकिन नहीं हैं. वहीं जानकार कहते हैं कि केवल तकनीक बदलने से व्यवस्था में बदलाव आने वाला नहीं है.
सरकार व प्रशासन को ये सुनिश्चित करना पड़ेगा कि खाद के रिटेलरों को एजेंसी से निर्धारित रेट पर खाद मिले. वरना पीओएस मशीन, आधार कार्ड व अंगूठा लगाने की व्यवस्था के बावजूद खाद की कालाबाजारी पहले की ही तरह चलती रहेगी. सूत्रों का तो ये भी कहना है कि जिले के दूर दराज ग्रामीण क्षेत्रों में पीओएस मशीन के लगने के बाद भी यूरिया व सब्सिडी वाले अन्य खाद निर्धारित रेट से कहीं ऊंचे दाम पर ही बिक रहे हैं.
एजेंसी की शर्तों पर यूरिया खरीदना विक्रेताओं के लिए महंगा सौदा
दुकानों से बैरंग लौटना पड़ रहा है किसानों को
सबसे बड़ी दिक्कत बाजार में यूरिया की उपलब्धता को लेकर है. बुधवार को मक्का व गेहूं की फसल के लिए यूरिया खरीदने पहुंचे बहुत सारे किसानों को बैरंग वापस लौटना पड़ा. क्योंकि दुकान पर यूरिया उपलब्ध नहीं था. सूत्रों का कहना है कि शहर के एक दो दुकानों पर ही यूरिया उपलब्ध है. अन्य छोटे दुकानों को यूरिया मिल ही नहीं पाया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीते कुछ दिनों में जिले के लिए यूरिया के चार रैक की आपूर्ति हुई थी. पर संबंधित खाद एजेंसियों ने अपनी मन मर्जी से यूरिया उपलब्ध कराया. खाद के व्यापार पर नजर रखने वालों का कहना है कि एजेंसियों की की मनमानी पर लगाम लगाये बिना किसानों को बहुत फायदा होने वाला नहीं है.
छोटे दुकानदारों को नहीं मिल पाता केवल यूरिया
सूत्रों के मुताबिक रसायनिक खाद के थोक विक्रेता या एजेंसी छोटे दुकानदारों को केवल यूरिया नहीं देते. उन्हें यूरिया उसी समय मिलती है, जब वे एजेंसी से कुछ कीट नाशक दवाएं व सुक्ष्म पोषक तत्व क्रय करने पर तैयार होते हैं. खाद के कुछ खुदरा विक्रेताओं की मानें तो एजेंसी 20 बैग यूरिया के साथ 24 किलो जाइम व अन्य अनावश्यक दवाओं को क्रय करने की शर्त लगा देते हैं. जो इन शर्तों को पूरा करता है, उन्हें ही यूरिया मिल पाता है.
हड्डियों को भेद रही बर्फीली हवायें, बढ़ी कनकनी
जिले में कड़ाके की ठंड अपने चरम पर है. जनवरी की पहली तारीख से ठंड में बढ़ोत्तरी का सिलसिला लगातार जारी है. अधिकतम व न्यूनतम तापमान के बीच का अंतर कम होता जा रहा है. धनी व संपन्न लोग जहां इस बढ़ती ठंड का जहां मजा ले रहे हैं. तो गरीब मजदूर वर्ग के लिए बढ़ती ठंड परेशानी का सबब बन चुका है. भगवान भास्कर भी बीते तीन दिनों से आंख मिचौली कर रहे हैं. गाहे-बगाहे ही लोगों को इसके दर्शन हो पा रहे हैं. इधर तेज पछुआ हवाएं जिले में कहर बरपा रही है.
पछुआ हवाओं के कारण ठंड की कंपकपी ज्यादा महसूस की जा रही है. कोहरे का प्रभाव भी मौसम पर देखा जा रहा है. आसमान में बादल घुमड़ रहे हैं. घने कोहरे व बादलों की वजह से दिन में दृष्यता काफी कम रह रही है.

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