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शासन-प्रशासन को होना होगा सजग

नहीं थम रही भू-विवाद को लेकर हत्या की घटनाएं अररिया : खट्टे-मीठे यादों के बीच वर्ष 2017 को लोग अलविदा कह रहे हैं. सांप्रदायिक समरसता के बीच यह साल गुजर गया. खास कर पुलिस प्रशासन को कभी वाहवाही मिली, तो कभी आलोचनाओं की शिकार हुई. लेकिन भूमि विवाद जो इस जिले के लिए नासूर बना […]

नहीं थम रही भू-विवाद को लेकर हत्या की घटनाएं

अररिया : खट्टे-मीठे यादों के बीच वर्ष 2017 को लोग अलविदा कह रहे हैं. सांप्रदायिक समरसता के बीच यह साल गुजर गया. खास कर पुलिस प्रशासन को कभी वाहवाही मिली, तो कभी आलोचनाओं की शिकार हुई. लेकिन भूमि विवाद जो इस जिले के लिए नासूर बना हुआ है. इस दिशा में कोई बदलाव नहीं आया. वर्ष की शुरुआत यानि पहली जनवरी को भरगामा थाना क्षेत्र के रहड़िया में दो लोगों की हत्या से हुई. भूमि विवाद को लेकर हुई इस हत्या ने जिला ही नहीं सूबे को झकझोर कर रख दिया था.
दो माले नेताओं की हत्या हुई थी. यह आग बुझी नहीं कि 20 फरवरी को दोहरा हत्याकांड हो गया. बथनाहा निवासी मोहन झा व उसकी पत्नी शकुंतला देवी की हत्या कर शव हड़ियाबारा में फेंक दिया गया. इसके पीछे भी पूर्व से चली आ रही भू-विवाद ही है. मोहन झा व उसके पुत्र ने अपने चाचा सेना से रिटायर्ड शुगानंद झा व पत्नी राधा देवी का हत्या का कांड अंकित था. इस दोहरे हत्याकांड में मोहन झा जेल से निकले थे.
कुछ दिनों बाद पति-पत्नी की हत्या हो जाती है. जिसकी गुत्थी अब तक फाइलों में उलझा पड़ा है. नगर थाना क्षेत्र के देवरिया गांव में एक भाई ने अपनी विधवा बहन की हत्या सिर्फ व सिर्फ इसलिए कर दिया था कि उसकी जमीन-जायदाद को कब्जे में ले लें. यह चंद वानगी है. हां बथनाहा थाना क्षेत्र के सोनापुर गांव के जदयू कार्यकर्ता की हत्या कर शव फेक दिया गया था.
इसके पीछे भी जमीन विवाद का मामला सामने आया. इसके इतर जमीन पर कब्जादारी-हिस्सेदारी को लेकर अमूमन प्रत्येक माह दर्जनों मारपीट की घटनाएं थाना में अंकित होते रहे हैं, लेकिन नासूर बन चुके इस बीमारी का इलाज नहीं होना खेदपूर्ण है. जिसको ले प्रशासन की आलोचना होती रहती है. दरअसल भूमि विवाद के चलते जिला अमूमन अशांत रहते आया है. मामला इतना गहरा जाता है कि लोग आक्रोश में आकर हत्या करने पर उतारू हो जा रहे हैं. ऐसे में सामाजिक पहल जो कारगर साबित नहीं होता है.
तब शासन-प्रशासन की सख्ती की लोग अपेक्षा पालने लगते हैं. हालांकि वर्ष 2016 की अपेक्षा वर्ष 2017 में अपराध के आंकड़े के साथ-साथ हत्या लूट जैसे मामलों में कमी आयी है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता. एक मौका ऐसा भी आया जब पुलिस ने पथराव को बर्दाश्त कर सांप्रदायिक सौहाद्र बिगड़ने नहीं दिया. शहर ने नहर पुल की घटना को बड़े ही संजीदगी ने प्रशासन ने सलटा. आग लगने से बचा लिया गया. उस समय हर इंसान के जुवां पर यह चर्चा तैरी थी. बहरहाल भू-विवाद में हत्या का सिलसिला कब थमेगी. इसी सवाल के साथ लोग वर्ष 2017 को अलविदा कह रहे हैं. अमन पंसद विरासत पर दागदार धव्वा न लगे. गंगा-जमुनी तहजीब कलंकित न हो. इसी आशा-उम्मीद के साथ लोग नववर्ष के स्वागत की तैयारी में जुट गये हैं.
अापराधिक आंकड़ा
वर्ष 2016 की तुलना करने पर इससे इनकार नहीं हुआ जा सकता है कि अापराधिक घटनाओं में कमी आयी है. वर्ष 2016 में जहां हत्या के 60, डकैती में चार, लूट में 28, अपहरण में 115, चोरी के 386, बलात्कार के 49 मामले सामने आये. वहीं वर्ष 2017 हत्या के 33, लूट के 19, अपहरण के 118, चोरी के 209, बलात्कार के 47 मामले सामने आये. हालांकि डकैती में इजाफा हुआ. नवंबर माह तक नौ डकैती की घटनाएं सामने आये.

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