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नियमों को ताक पर रख कर हो रहा ऑटो का परिचालन
अररिया : जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में चलने वाले ऑटो में ठूंस-ठूंस कर यात्री भरे होते हैं. ऑटो की रफ्तार तो किसी को भी हैरान कर सकता है. तेज रफ्तार और क्षमता से अधिक सवारी लदे होने की वजह से हर दिन ऑटो के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबरें सुर्खियां बटोरती है. इसके बाद […]
अररिया : जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में चलने वाले ऑटो में ठूंस-ठूंस कर यात्री भरे होते हैं. ऑटो की रफ्तार तो किसी को भी हैरान कर सकता है. तेज रफ्तार और क्षमता से अधिक सवारी लदे होने की वजह से हर दिन ऑटो के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबरें सुर्खियां बटोरती है.
इसके बाद भी ऑटो की रफ्तार यथावत बनी रहती है. साथ में ओवरलोडिंग का सिलसिला भी बदस्तूर जारी रहता है. वैसे तो इस पर लगाम कसने की जिम्मेदारी जिला परिवहन विभाग की है. जिला परिवहन पदाधिकारी व मोटरयान निरीक्षक ऐसे मामले में दोषी ऑटो चालकों पर कठोर कार्रवाई का अधिकार रखते हैं. इसके बाद भी अब तक तेज रफ्तार व ओवरलोडिंग के कारण किसी ऑटो चालक पर कार्रवाई का एक भी मामला अब तक जिले में सामने नहीं आया है. जो इस दिशा में प्रशासनिक उदासीनता का बखूबी दर्शाता है.
चार हजार से अधिक ऑटो का होता है परिचालन
एक अनुमान के मुताबिक जिले के विभिन्न रूटों पर चार हजार से अधिक ऑटो का परिचालन होता है. इसकी तुलना में जिला परिवहन विभाग में निबंधित ऑटो की संख्या काफी कम है.
गौरतलब ये कि ऑटो चालकों को जितनी दूरी और जिस रूट का परमिट विभाग से लेते हैं. उससे अधिक दूरी व रूट पर वह इसका परिचालन धड़ल्ले से करते हैं. उनके ऑटो पर सवारियों की संख्या भी क्षमता से अधिक होती है. इससे किसी दुखद हादसा की गुंजाइश काफी अधिक होती है.
बेलगाम ऑटो सड़क दुर्घटना की बड़ी वजह : लंबी दूरी की यात्रा के लिए ऑटो का प्रयोग अपनी जान जोखिम में डालने जैसा है. इसके बाद भी जिले में लंबी दूरी की यात्रा के लिए ऑटो का परिचालन धड़ल्ले से हो रहा है. ज्यादा लाभ के चक्कर में चालक क्षमता से अधिक यात्री ऑटो पर सवार कर रहे हैं.
ऑटो स्टैंड व रूट निर्धारित नहीं होने से परेशानी
भीड़-भाड़ वाले शहरी क्षेत्रों में ऑटो रूट का निर्धारण अब तक नहीं हो सका है. साथ ही ऑटो स्टैंड की व्यवस्था कर पाने में भी नगर प्रशासन अब तक नाकाम साबित हुआ है. ऑटो स्टैंड नहीं होने से जिला मुख्यालय में ही कहीं भी बड़ी संख्या में पार्क किये गये ऑटो मिल जाते हैं.
जिलाधिकारी के निकट डाकबंगला चौक, पुराना डाक बंगला के सामने वाली सड़क पर दिन भर बदस्तूर ऑटो लगे मिलते हैं. इतना ही नहीं सदर अस्पताल का मुख्य द्वारा भी शहर के मुख्य ऑटो पार्किंग स्थल में तब्दील हो चुका है. ऑटो परिचालन का रूट निर्धारित नहीं होना तो लोगों के लिए मुसीबत खड़ी करने लगा है. चालक जहां तहां ऑटो खड़ी कर सवार चढ़ाने व उतारने के लिए स्वतंत्र हैं. इतना ही नहीं व्यस्ततम समय में भीड़-भाड़ वाले इलाकों में ऑटो के घुस आने से वहां जाम की समस्या गंभीर रूप लेने लगी है.
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