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स्कूल में न शिक्षक, न कोई पद, फिर अविनाश कैसे बन गया केंद्राधीक्षक

बस कंडक्टर से क्राइस्ट चर्च स्कूल में बन गया को-ऑर्डिनेटर पटना : सीबीएसइ परीक्षा के दौरान बैंक से प्रश्न पत्र लाने और उसे केंद्र तक ले जाने की जिम्मेवारी केंद्राधीक्षक (स्कूल के प्रिंसिपल) पर होती है. नीट में भी यह नियम लागू था. लेकिन, क्राइस्ट चर्च स्कूल ने नीट की परीक्षाका प्रश्नपत्र लाने की जिम्मेवारी […]

बस कंडक्टर से क्राइस्ट चर्च स्कूल में बन गया को-ऑर्डिनेटर
पटना : सीबीएसइ परीक्षा के दौरान बैंक से प्रश्न पत्र लाने और उसे केंद्र तक ले जाने की जिम्मेवारी केंद्राधीक्षक (स्कूल के प्रिंसिपल) पर होती है. नीट में भी यह नियम लागू था. लेकिन, क्राइस्ट चर्च स्कूल ने नीट की परीक्षाका प्रश्नपत्र लाने की जिम्मेवारी ऐसे व्यक्ति को दे दी, जो न तो स्कूल का शिक्षक है और न ही प्रशासनिक कर्मचारी है.
स्कूल ने अविनाश दूबे उर्फ अविनाश चंद्रा नाम के ऐसे व्यक्ति को प्रश्नपत्र लाने की जिम्मेवारी दे दी और केंद्राधीक्षक बना दिया, जो स्कूल को-ऑर्डिनेटर के तौर पर काम करता है. स्कूल के साथ सीबीएसइ ने भी इस पर कोई आपत्ति नहीं की. अविनाश चंद्रा ने पहली बार यह जिम्मेवारी नहीं निभायी है, बल्कि स्कूल के प्राचार्य के तौर पर यह कई बार यह जिम्मेवारी निभा चुका है.
लेकिन, इस पर कोई आपत्ति सीबीएसइ ने नहीं की. अविनाश चंद्रा का काम स्कूल की छुट्टी के समय छात्रों को बस तक पहुंचाने का है. अविनाश चंद्रा को भले अभिभावक या बाहरी लोग स्कूल को-ऑर्डिनेटर के तौर पर जानते हों, लेकिन स्कूल मैनेजमेंट में उसकी पूरी पहुंच है. यहां तक की सीबीएसइ के पास भी कई बार प्राचार्य के तौर पर खुद को रख चुका है.
…और बन गया को-ऑर्डिनेटर : क्राइस्ट चर्च स्कूल में अविनाश चंद्रा 1992 से कार्यरत है. स्नातक पास अविनाश चंद्रा ने स्कूल में बस कंडक्टर के तौर पर काम करना शुरू किया था. क्याेंकि, उन दिनों क्राइस्ट चर्च छोटे बच्चों के लिए चलता था. स्कूल में प्रवेश करने के बाद उसने अपना नाम बदल कर अविनाश दूबे से अविनाश चंद्रा कर लिया. धीरे-धीरे इसने अपनी पैठ स्कूल में बना ली. स्कूल सूत्रों की मानें तो यह जब चाहता था किसी भी प्राचार्य को हटवा देता था. 2010 में प्राचार्य जॉर्ज और 2016 में प्राचार्य आनंद शुक्ला को अविनाश चंद्रा ने ही वित्तीय अनियमितता का आरोप लगवा कर हटवाया था.
स्कूल के कई और शिक्षक भी हैं इसमें शामिल
पड़ताल के दौरान ही पता चला है कि स्कूल में परीक्षा से लेकर नामांकन कराने के लिए एक गैंग है. इस गैंग का हीरो अविनाश चंद्रा है. स्कूल के ही दो शिक्षक और एक महिला पदाधिकारी इसमें शामिल हैं. इनका काम नामांकन से लेकर परीक्षा में उलट-फेर करना है. इनके तार सीबीएसइ क्षेत्रीय कार्यालय से भी जुड़े हैं.
स्कूल को अविनाश ने दिलवायी थी मान्यता
क्राइस्ट चर्च स्कूल में पहले आइसीएसइ बोर्ड की मान्यता थी. लेकिन, 2014 में स्कूल को सीबीएसइ की मान्यता मिली. स्कूल सूत्रों की मानें तो सीबीएसइ से मान्यता लेने में अविनाश चंद्रा की मुख्य भूमिका थी. आवेदन देने के महज छह महीने के अंदर सीबीएसइ से स्कूल को मान्यता मिल गयी थी.
प्राचार्य कौन, इसकी जानकारी सीबीएसइ को भी नहीं : सीबीएसइ की बोर्ड परीक्षा के दौरान अविनाश चंद्रा खुद को प्राचार्य बताता रहता था. 2015 मेें बोर्ड परीक्षा के दौरान अविनाश चंद्रा ने खुद को स्कूल का प्राचार्य बताया. लेकिन, जब सीबीएसइ के अधिकारी निरीक्षण करने पहुंचे, तो तात्कालिक प्राचार्य आनंद शुक्ला ने अपना परिचय स्कूल के प्राचार्य के रूप में दिया था. सीबीएसइ ने बाद में इसकी जांच नहीं की. यह स्कूल एक ट्रस्ट के तहत चलता है. कई शहरों में इसके स्कूल चलते हैं. हर स्कूल में एक प्रिंसिपल, एक वाइस प्रिंसिपल व एकाउंटेंट का पद है.
सीबीएसइ क्षेत्रीय कार्यालय में है अविनाश की पहुंच : अविनाश चंद्रा की पहुंच सीबीएसइ के क्षेत्रीय कार्यालय में भी है. सीबीएसइ दिल्ली के एक कर्मचारी से भी इसकी साठगांठ है. अकसर बोर्ड में जाना और अपनी मरजी से काम कराना अविनाश के बायें हाथ का काम है.
इसका सबसे बड़ा उदाहरण हाल में घटी एक अभिभावक के साथ हुई घटना है. अभिभावक संजीव पाठक ने बताया कि उनके दो बच्चे को स्कूल से निकाल दिया गया. जब इसकी शिकायत लेकर वो सीबीएसइ क्षेत्रीय कार्यालय गये तो पब्लिक डिलिंग कर रहे एक अधिकारी ने उन्हें कहा कि स्कूल में चार हजार छात्र पढ़ रहे हैं. किसी को दिक्कत नहीं है. आपको क्यों है.

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