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अधर में लटकी मलई बराज योजना
जमीन अधिग्रहण के बाद भी आने लगीं बाधाएं अमरनाथ केसरी,डुमरांव करीब तीन दशकों से धूल फांक रही अनुमंडल की मलई बराज योजना अपनी कार्यान्वयन में आने वाली बाधाओं को पार करते ही राजनीति के दांव-पेंच में फंस गयी है. एक तरफ रोहतास के किसानों ने इस योजना को विनाशकारी करार दिया, तो दूसरी तरफ बक्सर […]
जमीन अधिग्रहण के बाद भी आने लगीं बाधाएं
अमरनाथ केसरी,डुमरांव
करीब तीन दशकों से धूल फांक रही अनुमंडल की मलई बराज योजना अपनी कार्यान्वयन में आने वाली बाधाओं को पार करते ही राजनीति के दांव-पेंच में फंस गयी है. एक तरफ रोहतास के किसानों ने इस योजना को विनाशकारी करार दिया, तो दूसरी तरफ बक्सर (डुमरांव) के लोग इस योजना को जनोपयोगी बता रहे हैं. लोकसभा के अलविदा सत्र समाप्त होने के बाद दोनों क्षेत्रों के लोग इस योजना को चुनावी मुद्दा उभार कर श्रेय लेने की होड़ में है़ दोनों क्षेत्रों से झांकती राजनीतिक संस्कृति इसी भावना से संचालित होती दिख रही है. हालात ऐसे है कि यह मामला राजधानी के एक अण्रे मार्ग स्थित सीएम हाउस तक पहुंच गया है़
आंदोलन के मूड में किसान
करीब 30 वर्षो से मलई बराज के निमार्ण के लेकर इंतजार कर रहे किसानों के बीच आज भी संशय की स्थिति बनी हुई है़ निविदा की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अनुमंडल क्षेत्र के किसानों के बीच इस बात को लेकर आस जगी की देर से ही सही लेकिन अब वर्ष भर उनके खेतों में हरियाली आयेगी़ वहीं मेन कैनाल के निर्माण के लिए जैसे ही सामग्री का रखाव होना शुरू हुआ़ कई अवरोध उत्पन्न हो गय़े कार्य योजना की निर्माण नीति की गति धीमी देख कर किसान मायूस हैं़ विवश हो किसान अब आंदोलन के मूड में हैं़ किसान लाल बाबू कुशवाहा, राजेंद्र सिंह, विनोद सिंह, प्रभाकर दूबे, लक्ष्मण दूबे आदि ने बताया कि लोकसभा का चुनाव इस मुद्दे को लेकर प्रभावित होने की उम्मीद है़ नेताओं ने हर वक्त किसानों को छलने की कोशिश की है. अब किसान आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं़
चार भागों में निकाली गयी निविदा
कार्य योजना को धरातल पर उतारने के लिए विभाग ने चार भागों में निविदा निकालने का निर्देश दिया था़ लेकिन विभागीय कार्यपालक अभियंता आदित्यनाथ झा ने इसे आठ भागों में निविदा करायी और ग्रुपों में बंटवारा कर आवंटन किया. कार्य की गति धीमी होने एवं कार्यो में अनियमितता को लेकर जब स्थानीय विधायक डॉ दाउद अली ने सदन में सवाल उठाया तो जांच में खामियां उजागर हुई, और कई अभियंताओं ने करीब एक करोड़ 50 लाख की राशि को सरेंडर किया. इसके लिए 4022़ 97 लाख की लागत से कांव नदी पर मलई बराज निर्माण एवं 279़ 12 लाख की लागत से बराज की बायीं व दायीं ओर दो गाइड बांधों का निर्माण कार्य शामिल है़ इसके अलावे दायीं तरफ के संयोजक नहर एवं केसठ वितरणी के लिए 46़ 68 लाख रुपये खर्च करने की योजना है़
वर्ष 1986 में रखी गयी आधारशिला
मलई बराज की आधारशिला पहली बार तत्कालीन सरकार द्वारा वर्ष 1986 में रखी गयी़ अवरोध के कारण कार्य बंद हो गया़ बक्सर जिले के किसानों की जोरदार मांग पर पुन: वर्ष 2010 में सरकार द्वारा स्वीकृति मिलने के बाद प्राक्कलन तैयार किया गया़ 22 मई 2012 को बिहार सरकार द्वारा प्रशासनिक अनुमति प्रदान की गयी और 25 मई 2012 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस योजना का शिलान्यास किया था.
क्या कहते हैं विधायक
रोहतास काराकाट के जदयू विधायक राजेश्वर राज ने कहा कि मलई बराज बनने से रोहतास के करीब तीन लाख किसानों का नुकसान होगा़ काराकाट क्षेत्र के दावथ व सूर्यपुरा प्रखंड ज्यादा प्रभावित होंगे . उन्होंने बताया कि रोहतास के किसानों की समस्या को लेकर सदन में भी सवाल उठाया था़ उन्होंने कहा कि मलई बराज के बनने से रोहतास के नहरों में पानी सूख जायेगा़ जिस वजह से किसान भूखमरी के कगार पर पहुंचने पर विवश हो जायेंगे.
आंदोलन की राह पर हैं किसान
रोहतास दिनारा के विधायक जयकुमार सिंह का कहना है कि मलई बराज इस तरह बने कि दोनों जिले के किसानों को लाभ मिल सक़े सरकार ने इसे आनन-फानन में स्वीकृति प्रदान कर दी है़ इस मामले पर रोहतास के किसानों द्वारा आंदोलन भी जारी है़
कांव नदी के पानी का होगा उपयोग
विधानसभा सचेतक सह डुमरांव विधायक डॉ दाउद अली ने बताया कि मलई बराज के बनने से बक्सर-भोजपुर व रोहतास के इलाकों के किसानों को फायदा होगा़ सोन नहर के ऊपरी सतह की दर्जनों राजवाहा व अन्य नदियों में वर्ष भर पानी की उपलब्धता बनी रहेगी़ कांव नदी के पानी से इलाके के किसान वर्ष भर अनाज को उपजा कर जीविकोपाजर्न कर सकेगें़ कुछ लोग बराज पर राजनीति कर इसे प्रभावित करना चाहते हैं.
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