पटना: बिहार जन संसद के दूसरे दिन सामाजिक व राजनैतिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि संसद अपना काम नहीं कर रही है. 15वीं लोकसभा कामकाज के मसले पर सबसे फिसड्डी साबित हुई है.
पहली लोकसभा में 1900 घंटे काम हुआ था लेकिन इस लोकसभा में महज 270 घंटे कार्य हुए हैं. कई महत्वपूर्ण बिल संसद में लटके हुए हैं और जनता की सुविधाओं से जुड़ा कार्य नहीं हो पा रहा है. निखिल डे बुधवार को आर ब्लॉक चौराहे पर बिहार जन संसद के दूसरे दिन अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. जन संसद में विस्थापन, जमीन का हक, शहर के मसले, भोजन का अधिकार, बुढ़ापे का पेंशन व मनरेगा सहित अन्य प्रस्ताव जन संसद में पारित हुआ.पारित प्रस्ताव को जनता के घोषणा पत्र में शामिल किया गया.
विस्थापन पर चर्चा करते हुए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता रणजीव ने कहा कि विकास के वर्तमान ढांचे से ही विस्थापन की उपज हुई है. नारायण चौधरी ने कहा कि कोसी महासेतु अब लोगों के गले का फंदा हो गया है. करीब 60 हजार लोग डूब क्षेत्र में आ गए हैं. जन संसद में आशीष रंजन के सवाल के जवाब में लोगों ने कहा कि खेती की जमीन की बात कौन करे रहने की भी जमीन नहीं है. इसी प्रकार प्रदीप प्रियदर्शी, रुपेश, सुरेन्द्र मंडल, कुंदन कुमार गुप्ता, डॉ. शकील उर रहमान,संजय साहनी ने अपने विचार व्यक्त किया. इस अवसर पर प्रो. जावेद अख्तर, विनय कंठ, फादर मंथरा, एडवोकेट नीतिरंजन झा, सहित भारी संख्या में लोग शामिल हुए.
आज आयोजित होगा सेमिनार : दो दिवसीय बिहार जन संसद कार्यक्रम बुधवार को समाप्त हो गया. अब गुरुवार को वैकल्पिक राजनीति की चुनौतियों पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया है. सेमिनार के बाद पूरी तरह से कार्यक्रम के समापन की घोषणा की जायेगी.