पटना. नियोजित शिक्षकों को नियमित वेतनमान और प्रोन्नति का मामला एक बार फिर लटक गया है. विधान परिषद में इस मसले को लेकर सत्ताधारी दल के सदस्यों के समर्थन के बावजूद गैर सरकारी संकल्प मंजूर नहीं हो पाया.
सत्ताधारी दल के सदस्य सदन में नियोजित शिक्षकों के पक्ष में खड़े तो हुए, लेकिन जब मतदान की बारी आयी, तो उन्होंने विरोध में वोट किया. नतीजा सदन में गैर सरकारी संकल्प के रूप में लाया गया नियोजित शिक्षकों को नियमित वेतनमान और प्रोन्नति का मामला पारित नहीं हो पाया.
भाजपा के नरेंद्र प्रसाद सिंह और राजद के प्रो नवल किशोर यादव ने यह गैर सरकारी संकल्प सदन में पेश किया था. भोजनावकाश के बाद आये इस मामले में विपक्षी और सत्ता पक्ष के सदस्य एकजुट थे. भाजपा के नरेंद्र प्रसाद सिंह ने सरकारी कर्मचारियों की भांति महंगाई भत्ता देने की मांग रखी. जबकि राजद के प्रो नवल किशोर यादव ने स्थायी शिक्षकों की तरह नियोजित शिक्षकों को भी स्थायी वेतनमान और प्रोन्नति दिये जाने का मामला उठाया था. सदन में जब यह मामला आया, तो इसके समर्थन में जदयू के संजीव कुमार सिंह भी उठ खड़े हुए.
दोनों प्रस्ताव को जदयू के संजीव कुमार सिंह ने जोरदार समर्थन कर सरकार से प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया. भाकपा के केदार नाथ पांडेय ने शिक्षा मंत्री से कहा कि प्रस्ताव में काफी तर्क है. इसलिए सरकार इसे स्वीकार करे. गैर सरकारी प्रस्ताव पर बहस के दौरान समय की कमी भी आड़े नहीं आया. उप सभापति सलीम परवेज ने कहा कि विधान परिषद चुनाव है. इसलिए उन्हें बोलने दें. शिक्षा मंत्री पीके शाही ने नियुक्ति नियमावली का हवाला देते हुए कहा कि फिलहाल यह संभव नहीं है. उन्होंने भाजपा और राजद सदस्यों से अपना प्रस्ताव वापस लेने की अपील की, लेकिन जब दोनों प्रस्तावक वापस लेने को तैयार नहीं हुए तो सदन में मतदान कराया गया.