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बिहार में पांच वर्षों में एससी- एसटी अत्याचार के मामले दोगुने से ज्यादा

पटना: बिहार में विभिन्न जिलों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) अत्याचार के मामले पिछले पांच वर्षों में दोगुना से अधिक हो गये हैं.पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकडों के मुताबिक, बिहार में वर्ष 2009 में एससी एसटी वर्ग के साथ घटित आपराधिक घटनाओं की संख्या 2514 रही थी, जो 2013 में बढकर दोगुना से […]

पटना: बिहार में विभिन्न जिलों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) अत्याचार के मामले पिछले पांच वर्षों में दोगुना से अधिक हो गये हैं.पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंकडों के मुताबिक, बिहार में वर्ष 2009 में एससी एसटी वर्ग के साथ घटित आपराधिक घटनाओं की संख्या 2514 रही थी, जो 2013 में बढकर दोगुना से अधिक यानी 6359 पहुंच गयी है. बिहार में वर्ष 2013 में एससी एसटी समुदाय के साथ घटित 6359 आपराधिक घटनाओं में हत्या से जुडे 52, बलात्कार के 68, जख्मी किये जाने के 205, आगजनी के 58 मामले शामिल थे.

नवंबर 2005 में बिहार में नीतीश सरकार के सत्ता में आने पर राज्य में एससी एसटी समुदाय के साथ घटित आपराधिक घटनाओं की संख्या 1572 रही, जो वर्ष 2006, 2007 और 2008 में बढकर क्रमश: 1729, 1932 तथा 2789 पहुंच गयी.बिहार में वर्ष 2009 में एससी एसटी समुदाय के साथ घटित आपराधिक घटनाओं में कमी आयी और यह घटकर 2514 हो गयी। इसके बाद से इसकी संख्या में वृद्धि जारी है और यह वर्ष 2010, 2011 एवं 2012 में बढकर क्रमश: 2669 3438 और 4978 हो गयी.

बिहार से झारखंड के अलग होने से पूर्व अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग की आबादी प्रदेश की कुल आबादी की करीब 15.7 प्रतिशत थी.झारखंड के गठन के बाद यहां अनुसूचित जाति की जनसंख्या करीब 1.65 करोड है, जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 13.36 लाख है. बिहार की नीतीश सरकार द्वारा 20 सितंबर वर्ष 2007 को प्रदेश में महादलित आयोग का गठन कर उनके कल्याण के लिए विभिन्न योजनाएं चलायी जा रही है.

गत सात फरवरी को अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम 1989 और नियम 1995 के तहत राज्य स्तरीय सतर्कता और निगरानी समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अत्चाचार के मामलों की त्वरित जांच सुनिश्चित कराये.

वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया है कि उनकी पार्टी के सत्ता से अलग होने के बाद से सूबे में चल रही महादलित विकास मिशन की तमाम योजनायें दम तोड रही है. पटना में संत रविदास जयंती के अवसर पर कल आयोजित कार्यक्रम के दौरान सुशील ने आरोप लगाया कि जब वे विततमंत्री थे तो महादलितों को वितरित की जाने वाली वासगित जमीन योजना के लिए कभी धन की कमी नहीं होने दी. मगर यह योजना भी अब बंद होने के कगार पर है. बिहार में महादलितों को वासगित के लिए तीन डिसमिल जमीन देने की योजना चलायी जा रही है

सुशील ने कहा कि वासगित जमीन योजना के लिए वर्ष 2013.14 के दौरान 26.68 करोड रुपये का प्रावधान किया था. मगर प्रदेश के 22 जिलों में जनवरी बीतने तक महादलितों को जमीन वितरित करने की योजना शुरु ही नहीं हो सकी है. मात्र सात जिलों में 3.66 करोड रुपये खर्च हुये हैं. कई जिलों ने आवंटित राशि वापस कर दी है.

उन्होंने आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम से जुडे मामलों के निष्पादन के लिए प्रदेश के पांच जिलों पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया और बेगूसराय में विशेष अदालत गठित की जानी थी. मगर अभी तक इस दिशा में पहल नहीं हो सकी है.

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