पटना : शहर में बन रहे अवैध निर्माण पर कार्रवाई को लेकर नगर निगम की चाल सुस्त पड़ गयी है. बीते वर्षों से तेजी से अवैध भवनों का निर्माण चल रहा है. इसमें से अधिकांश निगम की निगाह में आते ही नहीं. वहीं, जिन अवैध निर्माणों पर निगम की निगाह पड़ती है, उस पर भी समय से निर्णय नहीं आता. हालात ऐसे हैं कि बीते 14 वर्षों में 3233 मामलों को अवैध भवन मान कर निगम ने कार्रवाई शुरू की. इस अवैध भवनों पर निगरानीवाद चलाया गया. लेकिन, नगर आयुक्त की कोर्ट से इतने मामलों पर मात्र 929 का ही निबटारा हो सका. जबकि, 2304 मामलों पर अब तक सुनवाई ही चल रही है.
पांच माह में नगर आयुक्त ने 40 कोर्ट लगाये, लेकिन नहीं निकला एक भी फैसला : नगर निगम में सप्ताह में दो दिन नगर आयुक्त का कोर्ट लगता है. बीते पांच माह में नगर आयुक्त अभिषेक सिंह ने 40 के लगभग कोर्ट लगा कर निगरानीवाद के मामलों को सुना. लेकिन, अभी तक निगम ने किसी भी बड़े भवन पर कार्रवाई नहीं की है. इसके अलावे हाइकोर्ट व ट्रिब्यूनल में फैसले आने के बाद भी निगम की कार्रवाई नहीं होती है. कई बार वादी व प्रतिवादी के नहीं आने के कारण भी मामला लटक जाता है.
कई मामले बहुत पुराने
कई मामले बहुत पुराने हैं. निगम में सप्ताह में दो बार कोर्ट लगाया जाता है. निगम के फैसले के बाद मामला हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में चला जाता है. इसलिए कार्रवाई करने में देरी हो जाती है.
-अभिषेक सिंह, नगर आयुक्त
कोर्ट के निर्देश का इंतजार
शहर के 15 वर्ष पुराने हाइ प्रोफाइल संतोषा कॉम्प्लेक्स के अवैध निर्माण का मामला एक बार फिर से गर्मायेगा. नगर निगम ने संतोषा के अवैध निर्माण को तोड़ने की कार्रवाई शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दोबारा रिपोर्ट भेजी है. निगम के सूत्रों की मानें, तो कोर्ट निगम की दलील से संतुष्ट है.
दस दिनों के भीतर दोबारा कार्रवाई शुरू करने के लिए मांगी गयी राशि पर कोर्ट की तरफ से स्वीकृति मिल सकती है. नगर आयुक्त अभिषेक सिंह ने बताया कि कोर्ट ने निगम से संतोषा अपार्टमेंट के अवैध ऊपरी तीन तल्लों को तोड़ने लिए प्रयोग की जाने वाली तकनीक पर पूरी रिपोर्ट मांगी थी. ताकि, शेष फ्लैटों को कोई नुकसान न हो. उन्होंने बताया कि निगम ने अपनी कार्रवाई का पूरा मैकेनिजम भेज दिया है. अब हमें अगले आदेश का इंतजार है.
संतोषा के अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए पहले फेज में नगर निगम को 1.35 करोड़ की राशि मिली थी. इसमें निगम ने लगभग दस लाख की राशि खर्च की है. निगम को पूरी तरह से तीन तल्लों को गिराने के लिए अब कुल 3.9 करोड़ की जरूरत है.
नेश इन पर फंसा मामला
हाइकोर्ट की डबल बेंच का फैसला आने के बाद भी किदवईपुरी स्थिति होटल नेश इन पर कार्रवाई नहीं हो रही है. नगर निगम होटल के अवैध निर्माण को तोड़ने को लेकर तत्पर नहीं है. पहली बार भी कोर्ट की सिंगल बेंच का फैसला आने के बाद मामले को हल्के में लिया गया. अब भी निगम की चाल सुस्त है. कोर्ट की डबल बेंच का फैसला आये हुए दो सप्ताह से अधिक का समय हो गया है. मामला एलपीए में चला गया है.
दो फ्लोर को तोड़ना है: होटल नेस इन का मामला पुराना है. नगर आयुक्त की कार्ट और ट्रिब्युनल कोर्ट ने ऊपर के दो फ्लोर को अवैध करार कर दे, उसे तोड़ने का फैसला दिया था. बाद में हाइकोर्ट की सिंगल और फिर डबल बेंच ने पुराने फैसले को बरकरार रखा.