पटना: जीविका को आपूर्ति के लिए सरकारी पॉल्ट्री फॉर्म में 25 हजार चूजे मंगाये गये थे. चूजे आये तो जीविका ने उन्हें लेने से इनकार कर दिया. चूजे अब मुरगा बन गये हैं. ये मुरगे पॉल्ट्री फार्म के लिए संकट बन गये हैं, क्योंकि रोज 25 से 30 हजार रुपये का दाना चट कर जा रहे हैं. इससे अब पॉल्ट्री फॉर्म का बजट का गड़बड़ाने की आशंका पैदा हो गयी है.
अधिकारी बताते हैं, कम खर्च में घर के आसपास के जूठन खाकर अधिक अंडा और मांस देनेवाली प्रजाति ‘वनराज’ मुरगे का चूजा गरीबों के बीच बांटने की योजना थी. केंद्रीय पॉल्ट्री फॉर्म में चूजों के चार सप्ताह के भोजन का बजट भी बना था. इसके बाद इन्हें जीविका को सौंप दिया जाना था. लेकिन, जीविका की ओर से उठाव नहीं किया गया. जाड़े में चूजों को बचाने के लिए तरह-तरह के इंतजाम करने पड़े. ठंड से बचाव के लिए हाइ पावर का बल्व लगाना पड़ा. फॉर्म में मुरगा रखने की अब जगह तक नहीं बची है.
विभागीय अधिकारी बताते हैं कि एक मुरगे के लिए रोज एक सौ ग्राम दाने की जरूरत पड़ रही है. इस प्रकार 25 हजार मुरगों के लिए रोज लगभग 25 से 30 हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. यही हाल रहा, तो फॉर्म का बजट बिगड़ जायेगा. आनेवाले समय में चूजों के लिए पॉल्ट्री फॉर्म के पास फंड ही नहीं बचेगा. विभाग ने चूजे के उत्पादन को रोक दिया है. प्रावधान के अनुसार, एक किलो वजन का हो जाने के बाद ही इसे बेचा जायेगा. तब तक पॉल्ट्री फॉर्म और विभाग को इस पर खर्च करते रहना होगा.