पूरा देश अखिलेश सरकार से यह पूछना चाहता है कि क्या किसी नेता के लिए अपने ही राज्य के दंगा-पीड़ितों को राहत देने से ज्यादा जरूरी सितारों के ठुमकों पर पैसा खर्च करना है. महोत्सवों के रूप में संस्कृति को बनाये रखना वाकई एक सही नेता का काम है, परंतु करोड़ों का नाच-गान और पीड़ितों को मौत पे मौत देना सही है क्या? इन दिनों जितना पैसा अखिलेश सरकार के मंत्री ठुमकों और विदेश दौरे पर उड़ा रहे हैं, उतने पैसों से क्या पीड़ितों का पुनर्वास नहीं हो सकता था?
समाजवाद के नाम पर समाज से वोट मांगनेवाले तथा चुनाव के वक्त अलग-अलग चुनावी पैंतरे व आंसू बहा कर वोट मांगनेवाले लोग अब उस समाज की मौत पर आंसू बहाना तो दूर, उनका हाल जानना भी जरूरी नहीं समझ रहे. कैंपों में जाकर भावना व्यक्त करने की बात छोड़िए, मंत्री उलटे शर्मनाक बयान दे रहे हैं.
हेमंत सांडिल, मनोहरपुर