पटना : बिहार सरकार ने अपने काम की बदौलत राष्ट्रीय स्तर पर परचम लहराया है. ग्रामीण विकास विभाग, बिहार को मनरेगा के अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर पर ‘पारदर्शिता एवं जवाबदेही’ को लेकर प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया है. वहीं विभाग के आजीविका मिशन के तहत अभिसरण (कनवर्जेस) को लेकर राज्य को राष्ट्रीय स्तर का दूसरा पुरस्कार मिला है. रविवार को विज्ञान भवन, नयी दिल्ली में आयोजित समारोह में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने पुरस्कार ग्रामीण विकास विभाग, बिहार सरकार के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा को सौंपा है.
18 राज्यों का था प्रस्ताव : पुरस्कार के लिए तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, सिक्किम व महाराष्ट्र समेत 18 राज्यों के प्रस्ताव पर विचार किया गया. प्रस्तावों के अध्ययन और राज्यों में हो रहे प्रयासों की प्रस्तुतीकरण की समीक्षा की गयी. केंद्र ने इसके लिए सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति बनायी थी. केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष वीके सिन्हा की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने प्रस्तावों पर समीक्षा के बाद सर्वोच्च राज्य के रूप में बिहार का चयन किया.
सकारात्मक प्रयासों का नतीजा : ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्र ने कहा कि मनरेगा योजनाओं के कार्यान्वयन में विभाग ने गुणवत्तापूर्ण पारदर्शी कार्यान्वयन और सामाजिक सहभागिता के लिए कई पहल शुरू की. इसके तहत नियत दिन मनरेगा दिवस जांच, सामाजिक अंकेक्षण, लोकपाल की नियुक्ति, राज्य में गुणवत्ता निरीक्षकों की नियुक्ति, स्टेटमेंट्स ऑफ जॉब का वितरण, दीवार लेखन, कार्य की मांग को आरटीपीएस में शामिल कराने की योजना, ग्रामसभा को सशक्त करना, पंचायत कार्यकारिणी की बैठक, जिला एवं प्रखंड की रैंकिंग, जिला की मासिक समीक्षात्मक प्रतिवेदन, बायोमीटरिक पद्धति पर आधारित इ-शक्ति से उपस्थिति, मीडियाकर्मियों को प्रशिक्षण, रोजगार गारंटी परिषद एवं राज्य स्तरीय अनुश्रवण की बैठक एवं प्रमंडलवार पुलिस कर्मियों के प्रशिक्षण की पहल की. पुरस्कार चयन समिति ने इन प्रयासों को देश में सवरेत्तम पहल मान कर अनुशंसा की. इसी तरह आजीविका मिशन के अभिसरण के लिए बिहार को दूसरा पुरस्कार दिया गया. मनरेगा योजना से शौचालय निर्माण, खेत पोखर निर्माण व पौध संरक्षण आदि योजनाओं का राज्य में व्यापक असर पड़ा है. इस श्रेणी में पहला पुरस्कार छत्तीसगढ़ को मिला है.