पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि समावेशी विकास के लिए केंद्र को राशि बंटवारे के फॉर्मूले में बदलाव लाना चाहिए. बिहार में निजी पूंजी निवेश नहीं हो रहा है. समावेशी विकास के लिए सरकारी निवेश को बढ़ाना होगा. विशेष राज्य का दर्जा मिला होता, तो केंद्रीय करों में उद्योग जगत को रियायत मिलती और निजी पूंजी निवेश बढ़ता. हालांकि, वित्त आयोग विशेष राज्य की मांग रखने का उचित फोरम नहीं है, लेकिन करों के बंटवारे के फॉर्मूले में बदलाव की बात तो रखी ही जा सकती है. मंगलवार को वह 14 वें वित्त आयोग के साथ अधिकारियों की चल रही बैठक को संबोधित कर रहे थे.
नयी योजनाओं के लिए केंद्र पूरी राशि दे : उन्होंने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या ज्यादा रहने के चलते राज्य की प्राथमिकता पर प्रतिकूल असर पड़ता है. राज्यों के पास सीमित संसाधन होते हैं. इससे राज्य सरकार अपनी योजनाएं प्रभावी तरीके से क्रियान्वित नहीं कर पाती है. राज्य सरकार को योजना चयन करने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए. अगर केंद्र नयी योजना को लागू करती है, तो उसकी पूरी राशि उसे ही वहन करना चाहिए. समावेशी विकास को राष्ट्रीय औसत के अनुरूप लाना है, तो प्रति व्यक्ति खर्च की दर को भी बढ़ाना होगा.
सैद्धांतिक सहमति : बाद में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए वित्त विभाग के प्रधान सचिव रामेश्वर सिंह ने बताया कि 14वें वित्त आयोग के समक्ष राज्य ने जो अपना पक्ष रखा है, उस पर उसने सैद्धांतिक रूप से सहमति व्यक्त की थी. राज्य में विकास की गति को भी आयोग की टीम ने सराहा है. राज्य सरकार का मानना है कि केंद्रीय करों में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलनी चाहिए.
इसमें 20 प्रतिशत जनसंख्या, 70 प्रतिशत राशि प्रति व्यक्ति आय और खर्च तथा 10 प्रतिशत राशि वित्तीय प्रबंधन के आधार पर मिलना चाहिए. 13 वें वित्त आयोग ने 32 प्रतिशत हिस्सेदारी देने की अनुशंसा की थी. केंद्रीय सहायता 2011 की जनगणना के अनुपात में मिलना चाहिए. सिंह ने बताया कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में भी बिहार अन्य राज्यों से काफी पीछे है. अगर केंद्रीय अनुदान का बंटवारा जनसंख्या के आधार पर बंटता है, तो समानता आयेगी. राज्य सरकार ने वित्त आयोग से 63.632 करोड़ रुपये का अनुदान देने की मांग की है. इसमें कृषि प्रक्षेत्र के लिए 45267.19 करोड़, मानव विकास मिशन के लिए 7278.81 करोड़ तथा प्रशासनिक सुधार के लिए 11087.48 करोड़ रुपये देने की बात कही गयी है.