18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मुसलिम को नहीं कहें अल्पसंख्यक : एमजे अकबर

‘हिंदू-मुसलिम संबंधों के अतीत और भविष्य’ पर व्याख्यान पटना : जानेमाने पत्रकार एमजे अकबर ने भारत में मुसलमानों को अल्पसंख्यक कहे जाने पर आपत्ति व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि किसी धर्म विशेष के लोगों को अल्पसंख्यक बताने का आधार उनकी आबादी नहीं बल्कि उन्हें हासिल राजनीतिक शक्तियों से किया जाना चाहिए.उन्होंने भारत में मुसलमानों […]

‘हिंदू-मुसलिम संबंधों के अतीत और भविष्य’ पर व्याख्यान

पटना : जानेमाने पत्रकार एमजे अकबर ने भारत में मुसलमानों को अल्पसंख्यक कहे जाने पर आपत्ति व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि किसी धर्म विशेष के लोगों को अल्पसंख्यक बताने का आधार उनकी आबादी नहीं बल्कि उन्हें हासिल राजनीतिक शक्तियों से किया जाना चाहिए.उन्होंने भारत में मुसलमानों को अल्पसंख्यक बताये जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि यह वोट बैंक की राजनीति है.

एमजे अकबर रविवार को यहां बीआइए के सभागार में केएन सहाय इंस्टीटय़ूट ऑफ इनवायरमेंट एंड अरबन डेवलपमेंट की ओर से ‘हिंदू-मुसलिम संबंधों के अतीत और भविष्य’ विषय पर व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे. मौके पर बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति एसएन झा भी बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे.

नरेंद्र मोदी का भी जिक्र किया : पूर्व सांसद अकबर ने महात्मा गांधी और मौलाना आजाद को धर्मनिरपेक्ष करार देते हुए कहा कि सही मायने में दोनों धर्मनिरपेक्ष थे. जबकि पंडित नेहरू और जिन्ना की धर्मनिरपेक्षता को यूरोपियन धर्मनिरपेक्षता करार दिया.

उन्होंने कहा कि देशवासी भी अब धर्मनिरपेक्षता का मतलब समझने लगे हैं. अकबर ने अपने संबोधन में नरेंद्र मोदी का भी जिक्र किया और कहा कि उनकी पटना की ‘हुंकार’ रैली में यह कहना कि गरीब हिंदू तय कर ले कि उसे गरीबी से लड़ना है या फिर मुसलमानों से तथा गरीब मुसलमान भी यह तय कर लें कि गरीब मुसलमानों को अपनी गरीबी से लड़ना है या हिंदुओं से, देश में बदलती राजनीतिक विचारधारा का परिचायक है.

उन्होंने कहा कि 70 के दशक में कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि देश में दलितों की भी सत्ता में हनक बढ़ेगी. लेकिन यह हुआ है. आगे और भी सुखद परिवर्तन होंगे.

बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति एसएन झा ने कहा कि जब मैं छोटा था तब मुझे अपने गांव में यह मालूम भी नहीं था कि यहां कौन मुसलमान है और कौन हिंदू. क्योंकि ताजिया मेरे घर से निकलता था और होली की शुरुआत मेरे पिताजी के मुसलिम दोस्त को रंग लगाकर होती थी.

उन्होंने कहा कि 50 के दशक में मेरे गांव के मुसलमान छठ करते थे और ईद हिंदुओं के घर पर मनती थी. सांप्रदायिक सौहार्द्र देखते बनता था. व्याख्यान शुरू होने से पहले केएन सहाय इंस्टीटय़ूट ऑफ इनवायरमेंट एंड अरबन डेवलपमेंट के कार्यकारी अध्यक्ष व केएन सहाय के पुत्र रविनंदन सहाय ने अतिथियों का स्वागत किया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें