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सत्येंद्र सिंह हत्याकांड : मालिक की खता, नौकर को भी सजा

पटना: सत्येंद्र सिंह हत्याकांड में नौकर गगन को पुलिस सरकारी गवाह बनाना चाहती थी, लेकिन वह अपने मालिक विजय कृष्ण व चाणक्य के दबाव में सरकारी गवाह नहीं बन पाया. यदि गगन सरकारी गवाह बन जाता तो उसे कम सजा होती या सजा माफ हो जाती. आजीवन सजा मिलने के बाद जब उसे बेऊर जेल […]

पटना: सत्येंद्र सिंह हत्याकांड में नौकर गगन को पुलिस सरकारी गवाह बनाना चाहती थी, लेकिन वह अपने मालिक विजय कृष्ण व चाणक्य के दबाव में सरकारी गवाह नहीं बन पाया. यदि गगन सरकारी गवाह बन जाता तो उसे कम सजा होती या सजा माफ हो जाती. आजीवन सजा मिलने के बाद जब उसे बेऊर जेल ले जाया गया, तो वहां के बंदियों ने उससे हाल-चाल पूछा तो उसने कहा कि जैइसन कैलथिन ओइसन पैलथिन.

उसके चेहरे से साफ झलक रहा था कि विजय कृष्ण व चाणक्य के खिलाफ उसमें काफी गुस्सा है. उसे अंधेरे में रख कर कहा जाता था कि उसे कुछ नहीं होगा. घटना के बाद वह लंबे समय तक जेल में बंद था. बाद में जब गगन जमानत पर छूटा तो उसकी हर गतिविधियों पर नजर रखी जाने लगी.

उसे सरकारी गवाह नहीं बनने दिया गया, ताकि इस केस को कमजोर किया जा सके, लेकिन बचाव पक्ष का यह फॉर्मूलाभी फेल हो गया. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केस को कमजोर करने के लिए हत्याकांड से जुड़े सरकारी वकील पर भी विजय कृष्ण की ओर से कई बार दबाव बनाया गया.

केस को डाइवर्ट करने की कोशिश : लक्ष्मी सिंह का कहना है कि पति की हत्या के बाद विजय कृष्ण झूठ पर झूठ बोलते रहे. अपने बेटे को बचाने की हर कोशिश करते रहे. एक झूठ को छिपाने के लिए कई झूठ गढ़ रहे थे. इसी के तहत उन्होंने भाड़े के गाड़ी के ड्राइवर विवेक से बयान दिलवाया था कि उसने सत्येंद्र सिंह को बोरिंग केनाल रोड स्थित गिन्नी मोटर्स के समीप उतार दिया था, जबकि ऐसा नहीं था. बाद में पुलिस ने विवेक से पूछताछ की, तो उसने सच्चई बतायी.

उसने तत्कालीन सिटी एसपी अनवर हुसैन को बताया कि पूर्व सांसद विजय कृष्ण और धर्मेद्र उर्फ टुनटुन नामक बॉडीगार्ड ने उसपर दबाव बनाया था कि कोई पूछे तो बताना कि सत्येंद्र बाबू गिन्नी मोटर्स के पास ही उतर गये थे. पूर्व सांसद ने सत्येंद्र हत्याकांड अपहरण मामले में भी परिवर्तन की साजिश रची थी.

उन्होंने अपने खास व्यक्ति अथमलगोला निवासी संतोष सिंह से यह प्रचारित करवाया था कि अथमलगोला से पटना आने के क्रम में उसने बाढ़ की ओर तेजी से जा रहे एक सूमो में आगे की सीट पर सत्येंद्र सिंह को बैठा देखा था. पिछली सीट पर भी कई अपरिचित चेहरे वाले बैठे थे. संतोष ने पुलिस के साथ ही सत्येंद्र के परिवार को भी यही जानकारी दी थी.

डिवीजन वार्ड में रखा गया : आजीवन कारावास की सजा पाये विजय कृष्ण को बेऊर के डिवीजन वार्ड में रखा गया है. वार्ड में पूर्व सांसद व पूर्व मंत्री के साथ ही वीआइपी कैदियों को रखा जाता है. वार्ड में रहनेवाले कैदियों को जेल की ओर से एक चौकी,एक चादर के साथ एक गमछा भी दिया जाता है. विजय कृष्ण पूर्व मंत्री भी रहे हैं. इस नाते उन्हें जेल के बाहर का खाना खाने की इजाजत होगी. यदि वे जेल में ही खाना बनाना चाहते हैं, तो उन्हें यह सुविधा भी मिलेगी. उन्हें एक नौकरी भी जेल में मिला है जो खाना बनाने के साथ अन्य काम में सहायता करेगा. जेलर से प्रस्ताव मिलने के बाद विजय कृष्ण से जेल के अंदर ही श्रम करवाया जायेगा. उनसे कैसा श्रम लिया जायेगा यह उनकी शैक्षणिक योग्यता के साथ शारीरिक क्षमता के अनुसार तय होगा.

कोर्ट ने किया फैसला, अब ईश्वर करेंगे इंसाफ : लक्ष्मी

पूर्व सांसद विजय कृष्ण, उनके बेटे चाणक्य, नौकर गगन व अंगरक्षक उमेश सिंह को उम्रकैद की सजा दिये जाने के बाद स्व सत्येंद्र सिंह की पत्नी लक्ष्मी सिंह के चेहरे पर खुशी व दुख दोनों के भाव दिख रहे थे. खुशी इस बात की थी कि साढ़े चार साल के अथक प्रयास के बाद वह दोषियों को सजा दिलवाने में कामयाब रहीं. दुख इस बात का था कि विजय कृष्ण ने न सिर्फ सत्येंद्र सिंह की हत्या की, बल्कि वर्षो से कायम उनके भरोसे को तोड़ दिया. वह विजय कृष्ण पर इतना भरोसा करती थीं कि कभी सोच भी नहीं सकती थी कि उनके पति की हत्या कर सकते हैं.

हत्या के बाद भी उन्हें बरगलाने की काफी कोशिश की गयी. कोर्ट में जब मामला चल रहा था, तो कई बार धमकी भी मिली. बिना किसी परिणाम की परवाह किये वह अपने पति के हत्यारों को सलाखों तक पहुंचाने में कामयाब रहीं. उनकी इच्छा थी कि चाणक्य को फांसी की सजा हो, लेकिन कोर्ट के फैसले से वह काफी संतुष्ट दिखीं. उन्होंने कहा, कोर्ट ने तो फैसला कर ही दिया है, अब भगवान भी इंसाफ करेंगे. लक्ष्मी सिंह ने कहा कि फैसले के खिलाफ यदि विजय कृष्ण ऊपरी अदालत में अपील करेंगे, तो वह वहां भी जायेंगी.

अभियुक्तों ने की विश्वास और संबंधों की हत्या, मिले फांसी

अदालत ने पूर्व निर्धारित समय के अनुसार ठीक 12.30 बजे मामले की सुनवाई प्रारंभ करनी चाही, लेकिन लोक अभियोजक के दूसरे कोर्ट में व्यस्त रहने के कारण 10 मिनट की देरी से शुरू हुई. सजा के बिंदु पर बहस प्रारंभ करते हुए लोक अभियोजक जयप्रकाश सिंह ने अदालत से निवेदन किया कि सत्येंद्र सिंह हत्याकांड का मामला जघन्य से जघन्यतम अपराध की श्रेणी में आता है, क्योंकि इसमें अभियुक्तों ने इनके विश्वास व संबंधों की हत्या की है. समाज के लिए यह खतरनाक है. इसलिए इन सभी अभियुक्तों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए. उन्होंने अपनी बहस में लार्ड डेनिन के वक्तव्य का हवाला देते हुए कहा कि उक्त हत्या सुनियोजित तरीके से की गयी है. दूसरी ओर, बचाव पक्ष के अधिवक्ता रामविनय सिंह ने पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि उक्त हत्या जघन्य अपराध की श्रेणी में नहीं आता है.

बच्चन सिंह केस का हवाला देते हुए अधिवक्ता ने कहा कि जघन्य से जघन्यतम अपराध की श्रेणी में आने के लिए जो गाइडलाइन उक्त मामले में दिया गया था, उसकी किसी श्रेणी में सत्येंद्र सिंह की हत्या का मामला नहीं आता. न्यायालय ने उभय पक्षों को सुनने के बाद सजा के बिंदु पर आदेश देने के लिए 15 मिनट का समय लिया और जज अपने चैंबर में चले गये. ठीक 1.25 बजे अदालत पुन: अपनी कार्रवाई करते हुए सभी अभियुक्तों को आजीवन कारावास व जुर्माना की सजा सुनायी. इस दौरान अदालत में अधिवक्ताओं की काफी भीड़ थी. बाहर विजय कृष्ण के सैकड़ों समर्थक उपस्थित थे.

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