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मिड डे मील हादसा . 105 दिन पूरे, पुलिस नहीं पहुंची किसी नतीजे पर

राजीव रंजन, छपरा गंडामन मिड डे मील कांड को हुए आज 105 दिन पूरे हो गये. लेकिन, पुलिस इस मामले में अब तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पायी है. 20 अक्तूबर को 486 पेज के सौंपे गये चाजर्शीट के अवलोकन में सामने आया कि 16 जुलाई को विषाक्त एमडीएम खाने से 23 बच्चों […]

राजीव रंजन, छपरा

गंडामन मिड डे मील कांड को हुए आज 105 दिन पूरे हो गये. लेकिन, पुलिस इस मामले में अब तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पायी है. 20 अक्तूबर को 486 पेज के सौंपे गये चाजर्शीट के अवलोकन में सामने आया कि 16 जुलाई को विषाक्त एमडीएम खाने से 23 बच्चों की मौत तथा रसोइया समेत 24 के पीड़ित होने के मामले में पूरे दिन प्रधानाध्यापिका मीना देवी के मोबाइल से 46 बार बातचीत विभिन्न नंबरों पर हुई है. इसमें अकेले सात बार संकुल समन्वयक सुनील कुमार राय के मोबाइल पर बात हुई है. हालांकि विभागीय कर्मी होने के कारण बात होने की कई कारण होने के कयास लगाये जा रहे हैं. परंतु, शेष नंबरों पर किन-किन व्यक्तियों से बातचीत हुई, इसका जिक्र पुलिस ने पूरक चाजर्शीट में नहीं किया है. वहीं, इस घटना के बाद घटना के कारणों की जांच के लिए भोजन के नमूने को एफएसएल में जांच के लिए भेजा गया. जांच में मोनो क्रोटोफाश नामक कीटनाशक में ही सब्जी बने होने की बात सामने आयी. इस घटना की जांच तीन-तीन एजेंसियां कर रही हैं. इनमें जिला पुलिस, एसआइटी तथा सीआइडी शामिल हैं. सबकी जांच के दौरान मंतव्य के आधार पर ही पूरक चाजर्शीट सौंपी गयी है. चाजर्शीट में मीना देवी, अजरुन राय की हत्या, हत्या के प्रयास, जहर देने, साक्ष्य मिटाने तथा एससी/एसटी का अभियुक्त बनाया गया. हालांकि सीजेएम ने संज्ञान के दौरान एससी/एसटी एक्ट को छोड़ दिया है. परंतु, पूरे चाजर्शीट में घटना के मूल कारण को नहीं दरसाया गया है. अब भी इस मामले में जांच टीम कुछ अन्य लोगों से भी पूछताछ की तैयारी में हालांकि घटना के बाद से ही लोगों द्वारा प्रधानाध्यापिका की लापरवाही को घटना का मुख्य कारण बताया जा रहा है.
घटना के बाद कई घरों की खुशियां छिनीं
छपरा (सदर). मशरक प्रखंड के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय, गंडामन में 16 जुलाई को 23 बच्चों की मौत तथा रसोइया समेत 24 के पीड़ित होने की घटना का कारण लापरवाही है या साजिश! अबतक इससे परदा ठोस प्रमाण के साथ नहीं उठ पाया है. परंतु, मंगलवार का वह दिन प्रधानाध्यापिका, बच्चों तथा रसोइया मंजू के लिए काला दिन साबित हुआ. घटना ने एक ओर जहां 23 मासूमों को मौत की नींद सुला दिया, वहीं महीने भर रसोइया समेत 24 को कष्ट ङोलना पड़ा. मृत बच्चों के कई परिजनों के घर की खुशियां आज भी गायब हैं. अब घटना के बाद प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जिम्मेवार प्रधानाध्यापिका मीना देवी, अजरुन राय तथा कमोबेश विधवा रसोइया मंजू देवी के परिवार की खुशियां शायद लंबे समय के लिए समाप्त हो गयी हैं. घटना के बाद प्रधानाध्यापिका व दोनों रसोइयों की नौकरी तो गयी ही, प्रधानाध्यापिका मीना व उनके पति लंबे समय से जहां जेल की सजा काट रहे हैं. वहीं, प्रधानाध्यापिका के दोनों बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है. दोनों बच्चे अब भी सुरक्षा कारणों से गांव में नहीं रह रहे हैं. वे कहीं-न-कहीं अपने माता-पिता से अलग जीवन-बसर करने को विवश हैं. वहीं, रसोइया मंजू देवी की इस घटना के बाद नौकरी तो गयी ही, सामाजिक स्तर पर तिरस्कार व पट्टीदारों की कारगुजारियों के कारण उसे अपने बच्चों के मायके में समय बीताना पड़ रहा है.
आपसी वैमनस्यता भी बढ़ी
गंडामन की घटना के बाद गांव में आपसी वैमनस्यता भी खुल कर सामने आयी है. मुख्य घटना में मीना-अजरुन के विरुद्ध मुकदमे के अलावा दो अन्य मुकदमों में इस गांव में इस घटना से जोड़ कर अलग-अलग लोगों द्वारा दर्ज कराया गया है. एक मामला अनुसूचित जाति के मृत एक बालक के परिजन द्वारा प्रधानाध्यापिका के भैंसुर ध्रुव राय व ससुर गंगा राय के खिलाफ हरिजन अत्याचार का मुकदमा भगवान बाजार थाने में दर्ज कराया गया है. वहीं, दूसरा मुकदमा विषाक्त भोजन खाने में पीड़ित रसोइया मंजू देवी द्वारा अपने पट्टीदार के विरुद्ध सोमवार को सीजेएम कोर्ट में दर्ज कराया गया है. इस घटना के बाद गंडामन में कमोबेश आपसी द्वेष व वैमनस्यता खुल कर सामने आयी है.
इस वर्ष कारा से निकलने की उम्मीद नहीं
संवाददाता, छपरा (सदर). मशरक प्रखंड के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय, गंडामन की प्रधानाध्यापिका मीना देवी अपनी जमानत के लिए पटना उच्च न्यायालय में दायर किया है. वहीं, अजरुन राय की जमानत उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी है. वहीं, मंडल कारा में विगत 95 दिनों से बंद प्रधानाध्यापिका मीना देवी तथा गत नौ सितंबर से कारा में बंद उनके पति अजरुन राय के विरुद्ध 12 नवंबर को आरोप गठन होना है. मशरक थाना कांड संख्या 154/2013 में यदि जिला जज या किसी अन्य एडीजे के न्यायालय में मीना देवी व उनके पति के विरुद्ध हत्या, हत्या का प्रयास, जहर देने, साक्ष्य छिपाने के मामले में आरोप गठन होता है, तो उनके अधिवक्ता भोला प्रसाद व रामबाबू राय उच्च न्यायालय में उस आदेश के खिलाफ जाने की बात कहते हैं. उधर, अजरुन यादव को अब इस वर्ष में जेल से बाहर निकलने की कोई उम्मीद नहीं दिखती. वहीं, मीना देवी को भी पटना उच्च न्यायालय से जमानत मिलने को लेकर कयास ही लग रहे हैं. ऐसी स्थिति में आरोप के गठन के बाद जब मामले पर सुनवाई शुरू होगी, तभी वे पुन: जमानत के लिए नये सिरे से संबंधित कोर्ट में आवेदन दे सकते हैं.

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