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दिल्ली गैंगरेप : अक्षय के घर टूटा दुख का पहाड

औरंगाबाद : दिल्ली की एक अदालत की 23 वर्षीय एक छात्रा के साथ 16 दिसंबर को सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी ठहराये गए चार दोषियों में से एक अक्षय कुमार के परिवार के सदस्य आज अदालत का आदेश सुनने के बाद रो पड़े और उम्मीद जतायी कि कल जब सजा सुनायी जायेगी […]

औरंगाबाद : दिल्ली की एक अदालत की 23 वर्षीय एक छात्रा के साथ 16 दिसंबर को सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी ठहराये गए चार दोषियों में से एक अक्षय कुमार के परिवार के सदस्य आज अदालत का आदेश सुनने के बाद रो पड़े और उम्मीद जतायी कि कल जब सजा सुनायी जायेगी तो भगवान उन पर रहम करेंगे.

इस मामले में आज अदालत द्वारा अक्षय को दोषी ठहराये जाने की खबर मिलने पर बिहार के औरंगाबाद जिला के तंडवा थाना अंतर्गत लाहनकर्मा गांव स्थित उसके घर में मौजूद पिता, मां, पत्नी सहित परिवार के अन्य सदस्य रोने लगे.मीडियाकर्मियों ने अक्षय की मां को आंसू भरी आंखों से यह कहते हुए सुना कि भगवान मेरे पुत्र को लौटा दीजिए. अक्षय की मां बार-बार यह कह रही थी कि उनका बेटा ऐसा घिनौना अपराध नहीं कर सकता है, उसे जीने दें.

मीडियाकर्मियों से यह पता चलने पर कि अक्षय को दोषी ठहराया गया है, ठाकुर के पिता सरयू सिंह मां मालती देवी, पत्नी पुनिता देवी जो कि अपने दो वर्षीय पुत्र को गोद में लिए हुई थी, भाई अभय कुमार और विनय कुमार के मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे.

जब मीडियाकर्मियों ने अक्षय के छोटे भाई विनय कुमार से बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने कहा कि कृपा करके हमें अकेला छोड दीजिए, हम बात करने की स्थिति में नहीं हैं. अक्षय के दोनों भाई गुडगांव में एक निजी कंपनी में काम करते हैं, लेकिन वे इस समय घर चले आये हैं, ताकि अदालत का फैसला आने के समय वे परिवार के साथ ही रहें.

अक्षय कुमार को इस मामले में पुलिस द्वारा उसके लाहनकर्मा गांव स्थित घर से गिरफ्तार किया गया था. 16 दिसंबर 2012 को घटित इस घटना में अक्षय की संलिप्तता की बात सामने आने के बाद से अक्षय के पिता ने खेतों में जाना छोड दिया था.इस मामले में अदालत के आज के फैसले के कुछ दिन पूर्व अक्षय के पिता ने कहा था कि उन्हें न्यायपालिका में पूरा विश्वास है और भगवान पर यकीन है.

हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि उनके पुत्र के कारण परिवार और गांव की बदनामी हुई है और इस कष्ट के साथ उनके लिए जीना दूभर होगा. अक्षय की पत्नी पुनिता देवी, जिसने अपने पति के कुशल क्षेम के लिए ‘तीज’ त्यौहार पर व्रत रखा था, का कहना है कि उसे यकीन है कि उनका पति इतना घिनौना अपराध नहीं कर सकता.

लाहनकर्मा गांव निवासी और अक्षय के बचपन के दोस्त संतोष मिश्र ने कहा कि जबतक वह गांव में रहा एक साधारण व्यक्ति था पर दिल्ली जैसे बडे शहर के वातावरण ने उसे जानवर बना दिया. लाहनकर्मा गांव के सरपंच अरविंद पासवान ने कहा कि अक्षय की गलत हरकत की वजह से इस गांव की बदनामी हुई. दिल्ली के तिहाड जेल में बंद अक्षय से मिलने उसके दोनों भाई वहां गए थे पर उसके माता-पिता नहीं गए. अक्षय ने अपने भाइयों को मुलाकात के दौरान बताया था कि वह बस चला रहा था और वह सामूहिक दुष्कर्म के उस क्रूर अपराध में शामिल नहीं था.

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