पटना: मैथिली-हिंदी के प्रमुख साहित्यकार व साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता 79 वर्षीय प्रो मायानंद मिश्र का शनिवार की सुबह साढ़े चार बजे निधन हो गया. मैथिली साहित्य में ललित- राजकमल-मायानंद तीन प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं, उसकी अंतिम कड़ी टूट गयी. सहरसा निवासी प्रो मायानंद मिश्र को वर्ष 1988 में साहित्य अकादमी ने उनकी मैथिली रचना ‘मंत्र-पुत्र’ के लिए अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया था.
इसके साथ ही वर्ष 2007 में लाइफ टाइम एचीवमेंट पुरस्कार के रूप में ‘प्रबोध सम्मान’ से सम्मानित किया गया था. बिहार सरकार के राष्ट्रभाषा सम्मान समेत कई पुरस्कारों एवं सम्मानों से सम्मानित किया गया था. प्रो मिश्र ने कहानी, कविता तथा उपन्यास की दो दर्जन से अधिक रचनाएं मैथिली व हिंदी साहित्य को सौंपी हैं. स्व मिश्र के पुत्र प्रो विद्यानंद मिश्र ने बताया कि बेगूसराय के सिमरिया घाट पर रविवार को अंतिम संस्कार का कार्य संपन्न होगा.
जीवन परिचय
नाम — प्रो मायानंद मिश्र
जन्म तिथि — 17अगस्त 1934
जन्म स्थान — बनैनिया गांव, सहरसा.
शिक्षा —— स्नातकोत्तर
सेवाएं —-
1. आकाशवाणी के चौपाल कार्यक्रम में मैथिली कंपोजिटर
2. मैथिली प्राध्यापक, सहरसा कॉलेज, सहरसा
प्रमुख रचनाएं :- भांगक लोटा, आगि मोम आ पाथर, चंद्रबिंदू(सभी कहानी संग्रह), खोता आ चिड़ै, मंत्र पुत्र (मैथिली रचनाएं)
माटी के लोग सोने की चिड़िया, प्रथमं शैल पुत्री च, मंत्र पुत्र, पुरोहित, स्त्री-धन (सभी हिंदी रचनाएं)