पटना: झारखंड की जलाशय योजनाओं से बिहार को 28 हजार क्यूसेक पानी नहीं मिल रहा. यह हाल तब है, जब बिहार सरकार ने झारखंड की जलाशय योजनाओं के आउटलेट, नहर और वितरणी प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए 22.76 करोड़ रुपये मुहैया कराये हैं.
झारखंड जलाशय योजनाओं से बिहार को पानी मुहैया कराने को लेकर दोनों राज्यों के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की दो राउंड बैठकें हो चुकी हैं, किंतु नतीजा सिफर है. झारखंड की जलाशय योजनाओं से बिहार को पानी मुहैया कराने के लिए विभाग ने झारखंड जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा है. झारखंड की उत्तर कोयल, बटाने जलाशय और बटेश्वर स्थान गंगा पंप नहर योजना से बिहार को 2800 क्यूसेक पानी मिलने का प्रावधान है.
सिंचाई के लिए जलाशय योजनाओं से पानी देने को लेकर दोनों राज्यों के बीच समझौता भी हो चुका है. इसके बावजूद बिहार की नहरों में पानी नहीं छोड़ा जा रहा. बटाने जलाशय योजना का काम झारखंड सरकार ने अब-तक पूरा नहीं कराया है. बिहार और झारखंड के जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिवों की जुलाई में हुई बैठक में बताया गया था कि इसके पुनरक्षित प्राक्कलन की स्वीकृति नहीं मिली है और भुगतान में विलंब के कारण योजना अटकी है. हालांकि बिहार ने अपने हिस्से के प्राक्कलन की स्वीकृति दे दी है.
जल संसाधन विभाग, बिहार को बटाने जलाशय योजना के दायें हिस्से की मुख्य नहरों के शेष बचे कार्यो को पूरा कराना था, जो हो चुका है. बटाने जलाशय योजना का काम ग्रामीणों के पुनर्वास और रेलवे स्लीप-वे के अधिष्ठापित न हो पाने के कारण रुका है. बिहार सरकार ने इस काम को पूरा कराने के लिए तीन करोड़ रुपये भी अपने फंड से मुहैया कराया है.
यही हाल झारखंड की उत्तर कोयल परियोजना का है. वर्ष 2013-14 में बिहार ने इसके लिए 19.76 करोड़ रुपये झारखंड को दिये हैं. राशि मिलने के बाद भी उत्तर कोयल परियोजना को अवैध आउटलेट से मुक्त नहीं कराया गया. जल संसाधन विभाग, बिहार ने झारखंड जल संसाधन विभाग के सचिव को पत्र लिख कर अवैध आउट लेट हटाने को कहा है. आउट लेट हटने के बाद दोनों राज्यों को संयुक्त रूप से क्षतिग्रस्त लाइनों को दुरुस्त करना है.