18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राज्य में होगी ताइवानी पपीते की खेती

पटना: राज्य में फलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग ने पपीता की खेती को प्रोत्साहित करने की कार्ययोजना बनायी है. इसके तहत पपीते की सबसे अच्छी किस्म ‘ताइवान रेड लेडी या ताइवानी पपीता’ की खेती राज्य में शुरू होने जा रही है. इस किस्म के पौधे किसानों को अनुदानित दर यानी […]

पटना: राज्य में फलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग ने पपीता की खेती को प्रोत्साहित करने की कार्ययोजना बनायी है. इसके तहत पपीते की सबसे अच्छी किस्म ‘ताइवान रेड लेडी या ताइवानी पपीता’ की खेती राज्य में शुरू होने जा रही है. इस किस्म के पौधे किसानों को अनुदानित दर यानी 8.25 रुपये प्रति पौधे की दर पर मिलेंगे. इसे किसान कृषि विभाग की नर्सरी या अन्य चुनिंदा नर्सरी से प्राप्त कर सकते हैं.

इस किस्म के पीपते की खेती राज्य के किसी भी जिले में की जा सकती है. यह सभी तरह की मिट्टी के लिए उपयुक्त है. जल्द ही इसके पौधे सभी नर्सरी में उपलब्ध होंगे. नर्सरी में मिलनेवाली इस प्रजाति के पौधे की गुणवत्ता तय करने की जिम्मेवारी उद्यान सहायक निदेशक की होगी. अगर किसी नर्सरी में पौधों की गुणवत्ता मानक के अनुसार नहीं हुई, तो संबंधित नर्सरी को कृषि विभाग की तरफ से मिले अनुदान के रुपये वापस करने होंगे. ऐसा नहीं करने पर दंडात्मक कार्रवाई होगी. किसान खरीदे गये ताइवानी पपीते की राशि का भुगतान 80:20 के समानुपात में भी कर सकते हैं. किसान के खेतों का भौतिक सत्यापन करने के बाद दूसरी किस्त उत्पादन शुरू होने के बाद देना होगा.

रेड लेडी पपीता की खासियत

प्रति पौधे 97-99 प्रतिशत तक फल आता है. सामान्य पौधे में यह 50-60 प्रतिशत होता है.

एक पौधा सामान्य प्रजाति के तीन पौधों के बराबर होता है.

पौधे की लंबाई महज 8-10 फुट होती है. मार्केट वैल्यू काफी है.

लगाने के एक साल बाद फलने लगता है, दो-ढाई साल तक फल देता है. इसके पत्ताें का टीप नुकीला होता है. पत्ते के वेन में चार-पांच महीने में लालिमा आ जाती है.

50 ग्राम बीज एक हेक्टेयर के लिए काफी है.दूसरी प्रजाति के पौधे लगाने पर 400 ग्राम बीज की जरूरत पड़ती है

पपीते की खेती

राज्य में पपीता की खेती करीब सभी जिलों में होती है. हालांकि राज्य में इसका उत्पादन बहुत नहीं होता है. वर्तमान में करीब एक लाख टन सालाना पपीता का उत्पादन होता है. इसमें अधिकतर लोकर वैरायटी के हैं. पटना,गोपालगंज और उत्तर बिहार के कुछ जिलों में इसका उत्पादन काफी होता है. इसे कई गुना बढ़ने की संभावना है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें