पटना: शिक्षा मंत्री व जदयू के वरिष्ठ नेता वृशिण पटेल मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बयान ‘फैसला लेने में मुङो डर लगता है’ के बाद उनके बचाव में उतर गये हैं.
मंगलवार को उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने जिस संदर्भ में बयान दिया, उससे तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया. मुख्यमंत्री ने खुद के संबंध में नहीं, बल्कि समाज के संबंध में कहा था कि फैसला लेने में डर लगता है. इस बयान को भाजपा ने उल्टा प्रचारित किया. वह इसे पॉलिटिकल एंगल देने में लगी हुई है.
भाजपा नेता तो कहने लगे कि मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को भाजपा से डर लग रहा है या फिर नीतीश कुमार से. वृशिण पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री को न तो कोई फैसला लेने से डर लग रहा है और न ही वह डरे हुए हैं. वह अपने भाषण में दलित समुदाय के रहन-सहन, सामाजिक परिवेश को झलकाने का प्रयास किया था. दलित समुदाय में पैदा होने से मरने तक में वे डिसिजन मेकिंग की स्थिति में नहीं होते हैं. इससे उनमें हीन भावना पैदा होती है, जो मरते समय तक रहती है. जब तक इसे दूर नहीं किया जायेगा, सामाजिक न्याय नहीं मिल सकता है. समाज में बिखराव होता रहेगा. मुख्यमंत्री फैसला लेने से नहीं डरते हैं, दलित समाज डरता है.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि भाजपा की यह भावना की बिहार के मुख्यमंत्री कमजोर हैं, उनके दिमागी दिवालियापन की निशानी है. जीतन राम मांझी डरनेवाले नहीं हैं. वह फैसला लेने में भी कमजोर नहीं हैं. श्री पटेल ने कहा कि भाजपा के लोग दरसाना चाहते हैं कि मुख्यमंत्री दवाब में हैं. उनकी कोई चलने नहीं दे रहा है. वह रिमोट से चल रहे हैं. वृशिण पटेल ने कहा कि नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया. उनका कोई इंटरफेयरेंस नहीं है. उन्होंने जीतन राम मांझी को काम करने की और फैसला लेने की पूरी छूट दी है. जदयू के पक्ष में बिहार की जनता के आने से भाजपा के कलेजे में सांप लोट रहा है.