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अब कृषि भूमि की अदला-बदली पर नहीं लगेगा शुल्क

पटना: राज्य में नयी रजिस्ट्री दर तय होने के साथ ही जमीन रजिस्ट्री में कई तरह की रियायतें भी दी गयी हैं. अब पैक्स (प्रारंभिक कृषि साख समिति) को दान में दी जानेवाली जमीन और कृषि भूमि की अदला-बदली पर रजिस्ट्री फीस और स्टांप ड्यूटी नहीं देनी पड़ेगी. अब तक इसके लिए शुल्क देना पड़ता […]

पटना: राज्य में नयी रजिस्ट्री दर तय होने के साथ ही जमीन रजिस्ट्री में कई तरह की रियायतें भी दी गयी हैं. अब पैक्स (प्रारंभिक कृषि साख समिति) को दान में दी जानेवाली जमीन और कृषि भूमि की अदला-बदली पर रजिस्ट्री फीस और स्टांप ड्यूटी नहीं देनी पड़ेगी. अब तक इसके लिए शुल्क देना पड़ता था. नयी व्यवस्था के मुताबिक किसी भी पैक्स के नाम पर जमीन रजिस्ट्री कराने पर रजिस्ट्री फीस और स्टांप ड्यूटी नहीं लगेगी. इसके

अलावा ‘बदलैन’ यानी सामान क्षेत्रफलवाली कृषि भूमि का अगर कोई व्यक्ति आपस में स्थानांतरण करना चाहते हैं, तो इसमें भी किसी तरह की रजिस्ट्री फीस या स्टांप ड्यूटी नहीं देनी पड़ेगी.

राज्य में अब तक 19 जिलों में जमीन की मिनिमम वैल्यू रेट (एमवीआर) तय हो गयी है. ये जिले हैं-मधेपुरा, सहरसा, दरभंगा, गोपालगंज, सीवान, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, बेगुसराय, खगड़िया, लखीसराय, पटना, जहानाबाद, जमुई, पूर्णिया, किशनगंज, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण. इन जिलों में जमीन रजिस्ट्री की नयी दरें निर्धारित कर जिला स्तर पर इसकी अधिसूचना जारी कर दी गयी है. एमवीआर का निर्धारण सर्किलवार होता है. अब तक कुल 534 सर्किल में 267 सर्किल का दर तय हो गया है. दर निर्धारित होने के बाद पूर्व की रजिस्ट्री दर की तुलना में 30-40 फीसदी तक की कटौती आयी है. कुछ स्थानों पर तो इसमें 40 फीसदी तक की कटौती हुई है.

ग्रामीण अंचलों या अर्ध शहरी अंचलों या वैसे स्थान जो शहरों से नजदीक हैं, वहां रजिस्ट्री की दरों में काफी असमानता थी. बड़े आधारभूत संरचनाओं के विकसित होनेवाले संभावित स्थानों पर भी रजिस्ट्री दरों में एकदम से दो-तीन गुना तक उछाल आ गया था. नवादा, नालंदा समेत कुछ अन्य जिलों में एमवीआर एक-दो दिनों में तैयार होने की संभावना है. एमवीआर निर्धारण के लिए डीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी की निर्णायक बैठक होनेवाली है. 15 अक्तूबर तक सभी 38 जिलों में एमवीआर तैयार हो जानी है. इसके बाद निबंधन विभाग सभी जिलों की अंतिम अधिसूचना जारी करेगा.

जमीन दो, 27 लाख रुपये प्रति कट्टा लो
राज्य सरकार ने दीघा के किसानों को नया ऑफर दिया है. सरकार ने कहा है कि यदि किसान अपनी जमीन देंगे, तो उन्हें 27 लाख रुपये प्रति कट्ठे की दर से भुगतान किया जायेगा. यह राशि किसानों के खाते में सीधे डाल दी जायेगी. नगर विकास मंत्री सम्राट चौधरी ने गुरुवार को कहा कि सरकार किसानों को पाई-पाई का हिसाब देगी.

15 दिनों में राशि : श्री चौधरी ने कहा कि किसानों को कुछ लोग गुमराह कर रहे हैं. लेकिन, सरकार का निर्णय है कि किसानों के हितों की पूर्ण रक्षा की जाये. जो किसान आवेदन देंगे, अगर उनके सभी प्रकार के दस्तावेज सही पाये जाते हैं, तो 15-20 दिनों के अंदर उनके खाते में राशि डाल दी जायेगी. अब तक दीघा भूमि को लेकर 572 किसानों ने आवेदन पत्र लिया है. अब तक 125 किसानों ने आवेदन पत्र जमा भी कराया है. सरकार की मंशा साफ है.

1980 के दशक में बिहार राज्य आवास बोर्ड ने 1024 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था. लेकिन, उस समय किसानों को मुआवजा नहीं दिया गया. जब बोर्ड ने अधिग्रहण करना चाहा, तो किसानों ने अपनी जमीन आम जनता के हाथों बेचना शुरू कर दिया. जानकारों का कहना है कि उस समय बिहार में उस प्लॉट की वैध रजिस्ट्री होती थी.

जैसे ही इसकी जानकारी मिली, सरकार ने उस 1024 एकड़ के प्लॉट की रजिस्ट्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. इसके बाद किसानों ने बीच का रास्ता निकाला और पावर ऑफ एटर्नी के माध्यम से जमीन की बिक्री होने लगी. यह बिक्री बिहार के बाहर किसान करने लगे थे. इस बीच आशियाना-दीघा सड़क के पूर्वी क्षेत्र के 600 एकड़ के प्लॉट पर जमीन खरीदनेवालों ने अपना मकान बनाना शुरू कर दिया और वर्तमान में सभी भूखंडों पर मकान का निर्माण हो चुका है. उधर, सड़क की पश्चिम ओर 424 एकड़ भूमि के आधे भाग में भी भवन निर्माण हो चुका है. अब सरकार नये सिरे से जमीन को लेना चाहती है, जिसके लिए किसानों से जमीन हस्तांतरण के लिए आवेदन पत्र मांगा गया है.

नया बिल्डिंग बाइलॉज नवंबर के पहले हफ्ते में
पटना नगर निगम नया बिल्डिंग बाइलॉज अब अगले माह जारी करेगा. अपर नगर आयुक्त एस कपिल अशोक ने गुरुवार को पटना हाइकोर्ट में इस मामले की सुनवाई दौरान इसके लिए नवंबर के प्रथम सप्ताह तक का समय मांगा. अपर नगर आयुक्त ने कोर्ट को बताया कि चूंकि नगर विकास विभाग के सचिव संदीप पौंड्रिक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गये हैं, इसलिए सात अक्तूबर तक नया बिल्डिंग बाइलॉज जारी नहीं हो सका है. नरेंद्र मिश्र की जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति वीएन सिन्हा व पीके झा के खंडपीठ ने सात अक्तूबर तक नया बिल्डिंग बाइलॉज जारी कर देने का निर्देश दिया था. अपर नगर आयुक्त ने यह भी बताया कि नये बाइलॉज को अभी राज्य मंत्रिमंडल की स्वीकृति भी नहीं मिली है. उसे कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेजा गया है. हाइकोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 20 अक्तूबर को करेगा.

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