एक भी जिले ने नहीं भेजा आवेदन
पटना : पुलिस मेडल की तरह राज्य पर एक और बड़े सम्मान से वंचित हो जाने का खतरा मंडराने लगा है. दो वर्षो तक लगातार पंचायतों के लिए राष्ट्रीय गौरव ग्रामसभा पुरस्कार जीतनेवाले बिहार के नामांकन पर भी इस साल संशय बना हुआ है.
जिलाधिकारियों की सुस्ती के कारण अब तक पंचायती राज विभाग को बेहतर काम करनेवाली पंचायतों की सूची नहीं मिल पायी है. 30 अगस्त तक विभाग को पंचायतों की सूची केंद्र सरकार को भेजनी है.
चयनित पंचायत को 10 लाख रुपये का पुरस्कार भारत सरकार देती है. राज्य मुख्यालय को यह बात समझ में नहीं आ रही है कि क्या किसी जिले की एक भी पंचायत ने बेहतर काम नहीं किया है या डीएम द्वारा रिपोर्ट ही तैयार नहीं की गयी है.
डीएम को 20 अगस्त तक अपने जिले के सर्वोत्तम कार्य करनेवाली पंचायतों में से एक का नाम चयन कर पंचायती राज विभाग को भेजना था. राज्य सरकार जिलों से प्राप्त रिपोर्टो की स्क्रूटनी कर तीन-चार पंचायतों का नाम पंचायती राज मंत्रालय , नयी दिल्ली को भेजती है. इधर पंचायती राज विभाग के निदेशक दीपक आनंद ने बताया कि सोमवार को एक बार फिर से जिलों को रिमाइंडर भेजा जायेगा. जिलों को निर्देश दिया जायेगा कि एक-दो दिनों में रिपोर्ट भेजें.
इसके लिए जो प्रश्नावली भेजी गयी है, उसमें अंकित सूचनाओं की प्रमाणिकता की जांच सक्षम पदाधिकारी या टीम द्वारा करा ली जानी है. इसके लिए वीडियो, डीवीडी, डीएस या सीडी में मुद्रित सामग्री को भी प्रमाणिकता का आधार बनाया जा सकता है.