पटना: दो माह से पार्टी नेतृत्व और सरकार के खिलाफ बयान दे रहे नालंदा जिले के इस्लामपुर के विधायक राजीव रंजन को जदयू से छह साल के लिए निलंबित कर दिया गया है. शुक्रवार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के निर्देश पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी के दस्तखत से निलंबन आदेश जारी किया गया.
आदेश में पार्टी के विरोध में बयान देनेवाले दूसरे नेताओं को भी चेतावनी दी गयी है. राजीव रंजन को निलंबित करते हुए शरद यादव ने पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं को अनुशासन बनाये रखने और संपूर्ण न्याय के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा है कि दल में किसी भी स्तर की पार्टी विरोधीगतिविधियों का कोई स्थान नहीं है.
इधर, निलंबित किये जाने के बाद विधायक राजीव रंजन एक महीने के लिए अमेरिका रवाना हो गये. उन्होंने कहा कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के दबाव पर पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने मुङो निलंबित किया है. विधायक ने कहा कि शुक्रवार की सुबह लालू प्रसाद ने शरद यादव से कहा कि यदि राजीव रंजन के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गयी, तो वह गंठबंधन से अलग हो जायेंगे. लालू के दबाव के कारण मुङो निलंबित करने से पहले नोटिस देने की भी जरूरत नहीं समझी गयी. उन्होंने आरोप लगाया कि शरद यादव और लालू प्रसाद ने जदयू को राजद में मर्ज करने का प्लान बनाया है. इसमें सबसे बड़ा बाधक मैं था. इस कारण मुङो बाहर का रास्ता दिखाया गया है. उन्होंने कहा कि मुङो इसकी जानकारी समाचार चैनलों से हुई है. एक महीने बाद लौट कर आऊंगा, तब जंगलराज -2 और भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान की शुरुआत करूंगा. मेरे इस काम में जो भी दल साथ देगा, उसे मैं स्वीकार करूंगा. राजीव रंजन ने कहा कि जदयू के 65 विधायक राजद के साथ गंठबंधन के खिलाफ हैं. उन्हें पता था कि आज ही मुङो बाहर निकलना है, इस कारण मुङो तत्काल निलंबित कर दिया गया.
2010 में पहली बार बने थे विधायक
झारखंड और छत्तीसगढ़ बिजली बोर्ड के अध्यक्ष रहे राजीव रंजन को 2010 में इस्लामपुर विधानसभा से जदयू ने पहली बार उम्मीदवार बनाया था. उस समय पार्टी की इस्लामपुर से विधायक थीं प्रतिमा देवी. उनका टिकट काट कर पार्टी ने राजीव रंजन को उम्मीदवार बनाया था.
राजीव रंजन के बोल
– तबादले का सालाना ढाई सौ करोड़ का कारोबार
– इंदिरा आवास के लिए भी देनी पड़ रही 25 प्रतिशत घूस
– राजद के साथ गंठबंधन के खिलाफ दल के 65 विधायक
– सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए.
-भ्रष्टाचार को रोकने में असफल रही सरकार
-पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लगातार हमला