पटना: राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को फेसबुक पर कहा कि भाजपा से गंठबंधन टूटने के बाद 11 महीनों तक नीतीश कुमार मुख्यमंत्री रहें.
इस दौरान बिहार न केवल विकास की राह से भटका, बल्कि पहले से चल रही सरकार की कई योजनाएं भी ठप पड़ गयीं. आतंकी और उग्रवादी घटनाओं से बिहार की छवि बिगड़ी, वहीं जन सरोकार से सरकार का नाता भी टूट गया.
नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा तो दिया, लेकिन रिमोट से सरकार चलाने की जुगत भिड़ा ली. जीतन राम मांझी को संवैधानिक मुख्यमंत्री बना कर स्वयं वास्तविक सीएम बन गये. फेसबुक पर उन्होंने नीतीश कुमार से पूछा है कि उनकी सरकार के कार्यकाल में गरीबों को दो रुपये किलो गेहू़ं और तीन रुपये किलो की दर से चावल का वितरण क्यों नहीं हो पाया? 15 महीने तक वृद्धावस्था, विकलांग और विधवा पेंशन की योजना बंद क्यों रही? राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा बीमा योजना, जिसके तहत 30 हजार रुपये तक का लाभ गरीबों को मिलता है, पिछले एक वर्ष से बंद क्यों पड़ी है? छात्रओं को सैनेटरी नैपकिन देने की योजना का क्या हुआ?
सरकार छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ क्यों कर रही है? गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्वारा पुलिस पदक से सम्मानित किये जानेवालों की सूची क्यों नहीं भेजी गयी? कॉमनवेल्थ गेम्स में बिहार का नाम रोशन करनेवाली बिहार की बेटी श्रेयसी सिंह को सम्मानित करना तो दूर, सरकार को बधाई देने तक की फुरसत क्यों नहीं मिली?