पटना: राज्य सरकार ने लोक सेवा के अधिकार को कानून का दर्जा दे दिया, लेकिन इसमें भी अफसरों की काहिली व कर्मियों की लापरवाही सामने आयी है. इस योजना के तहत आम लोगों को प्रखंड कार्यालय से अनुमंडल कार्यालय तक में तय समय पर मांगे गये दस्तावेज उपलब्ध कराने हैं.
15 अगस्त, 2011 को यह योजना लागू हुई थी. बिहार इस मामले में देश में रोल मॉडल बना था. योजना लागू कर दी गयी, पर इसके लिए जिम्मेवार अधिकारियों और कर्मियों का रवैया नहीं बदला. लिहाजा लोगों को समय पर प्रमाणपत्र मिले, इसके लिए खुद सरकार को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. तीन वर्षो में 747 कर्मियों को लापरवाही का दोषी पाया गया. तय समय पर दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने पर ऐसे कर्मियों के वेतन की राशि से 86 लाख 76 हजार 950 रुपये बतौर जुर्माना वसूले गये हैं.
9.25 लाख आवेदन लंबित
विभिन्न कार्यालयों में अब भी 9.25 लाख आवेदन लंबित हैं. बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन के अनुसार 16 अगस्त, 2011 से अब तक सात करोड़ 71 लाख 94 हजार लोगों ने विभिन्न प्रमाणपत्र एवं दस्तावेज के लिए आवेदन जमा कराया है. इनमें नौ अगस्त, 2014 तक सात करोड़ 62 लाख 69 हजार 335 लोगों को विभिन्न प्रकार के प्रमाणपत्र दे दिये गये हैं.
मिलेंगी और सुविधाएं
तीन साल में सात करोड़ से अधिक लोगों को प्रमाणपत्र देना एक बड़ी उपलब्धि है. जल्द ही विभाग अन्य कई और सुविधाएं लोगों को देगा. इसकी तैयारी चल रही है.
डॉ धर्मेद्र सिंह गंगवार सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव