पटना: भूमि व संपत्ति विवाद को लेकर देश भर में सर्वाधिक हत्याएं बिहार में हो रही हैं. वर्ष 2012 में राज्य भर संपत्ति व भूमि विवाद को लेकर 1159 हत्याएं हुई थीं, वहीं वर्ष 2013 में यह आंकड़ा घट कर 822 हो गया. राज्य में हर साल होनेवाली हत्याओं में 32.5 प्रतिशत केवल भूमि व संपत्ति विवाद को लेकर हो रही हैं. नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने बिहार में वर्ष 2013 में हुई हत्याओं की ताजा रिपोर्ट जारी की है.
पिछले साल 6882 लोगों की हत्या : रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2013 में राज्य भर में 6882 लोगों की हत्या की की गयी है, जिनमें सर्वाधिक हत्याएं भूमि व संपत्ति विवाद को लेकर हुई हैं. इनमें 371 वैसे लोगों की हत्याएं भी शामिल हैं, जो अपनी संपत्ति पर दावे की लड़ाई लड़ रहे थे. जबकि, भूमि व संपत्ति को लेकर चल रहे व्यक्तिगत संघर्ष में 591 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है.
एक सौ हत्याएं प्रेम प्रसंग व अवैध संबंधों को लेकर दर्ज की गयी हैं. राज्य भर में इस अवधि में 101 विवाहिताओं को दहेज के लिए मार डाला गया है. दहेज हत्याओं को लेकर एनसीआरबी ने बिहार पुलिस के कामकाज पर भी सवाल उठाये हैं. वर्ष 2013 में दहेज के लिए राज्य में जहां 101 विवाहित महिलाओं को मौत के घाट उतार दिया गया, वहीं राज्य पुलिस उस अवधि में किसी भी दहेज हत्या मामले में कोर्ट में दोषी लोगों के विरुद्ध चार्जशीट दायर करने में भी विफल रही है. एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में वर्ष 2013 के दौरान राजनीतिक विद्वेष को लेकर महज एक दर्जन हत्याएं हुई हैं. इस मामले में सर्वाधिक हत्याएं पश्चिम बंगाल में रेकॉर्ड की गयी हैं. वहां वर्ष 2013 में कुल 25 राजनीतिक हत्याएं दर्ज की गयी हैं. वर्ष 2013 के दौरान डायन बता कर एक भी हत्या का मामला दर्ज नहीं किया गया है और न ही सांप्रदायिक व जातीय हिंसा में किसी की जान गयी है.
मुख्यालय अनभिज्ञ : राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) गुप्तेश्वर पांडेय ने किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि फिलहाल इस संबंध में राज्य पुलिस मुख्यालय स्तर पर कोई समीक्षा नहीं की गयी है. इसकी समीक्षा के बाद ही आधिकारिक तौर पर कुछ कहा जा सकता है.