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बागियों पर कार्रवाई की तैयारी मे जदयू

पटना: जदयू के बागी विधायकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह को इसके लिए अधिकृत किया गया है. श्री सिंह ने पार्टी के चुनाव एजेंट से रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी. राज्यसभा उपचुनाव में 18 जदयू विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है. बागियों पर कार्रवाई […]

पटना: जदयू के बागी विधायकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह को इसके लिए अधिकृत किया गया है. श्री सिंह ने पार्टी के चुनाव एजेंट से रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी.

राज्यसभा उपचुनाव में 18 जदयू विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है. बागियों पर कार्रवाई के लिए पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रदेश अध्यक्ष को हरी झंडी दे दी है. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि जिसको जहां जाना है, जाये. फैसला चुनावी मैदान में होगा. चार पैरवाले को बांध कर रखा जा सकता है, दो पैरवाले इनसान को बांध कर रखना मुश्किल है.

हॉर्स ट्रेडिंग की होनी चाहिए जांच : नीतीश कुमार ने कहा कि राज्यसभा उपचुनाव में पैसों को जम कर खेल हुआ है. इसकी जांच होनी चाहिए. इस मामले को ऐसे ही नहीं जाने देना चाहिए. इसलिए मैं सरकार से मांग करता हूं कि इसकी जांच करानी चाहिए. सरकार को मेरा परामर्श होगा कि बिहार की राजनीति में इस तरह का जो खेल हुआ है, उसे गहनता से जांच हो.

भाजपा की खुल गयी कलई : जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि भाजपा की शब्दावली में सिद्धांत व ईमान पर बने रहना विश्वासघात कहलाता है. यह एक बार फिर राज्यसभा उपचुनाव में साबित हो गया है. उपचुनाव में जदयू उम्मीदवारों की जीत ने एक ओर जहां बिहार की राजनीति को कलंकित होने से बचा लिया है, वहीं दूसरी ओर विधायकों के सम्मान व इज्जत को बढ़ाया है. नतीजे का सीधा अर्थ है कि कोई भी दल या व्यक्ति यह न समङो कि वह बिहार के विभिन्न राजनीतिक दलों को किसी भी कीमत पर अनैतिक तरीके से प्रभावित कर राजनीतिक रोटी सेंक सकता है. श्री चौधरी ने कहा कि भाजपा की साजिश व मंसूबों की कलई की परत-दर-परत खुलती गयी. पहले उम्मीदवार नहीं देने का एलान, फिर उम्मीदवार देना, फिर नाम वापस करवाना, फिर चुनाव के प्रति नि:स्पृह भाव प्रकट करना और अंत में निर्दलीय उम्मीदवारों को पूरी ताकत से समर्थन देना.

उन्होंने कहा कि दुनिया जानती है कि भाजपा नेता के घर बैठ कर ही दोनों निर्दलीय प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाने का फैसला हुआ था. कलई की असली मोटी परत तो बाद में खुली, जब हार के बाद निर्दलीय प्रत्याशियों व जदयू बागी विधायकों ने एक सुर से राजद पर विश्वासघात का आरोप लगाया. इसके निहितार्थ भी साफ हैं. भाजपा ने निर्दलीय प्रत्याशियों व बागी विधायकों को मोहरा बना कर राजद से सांठ-गांठ करने की कोशिश की. जब राजद ने सही फैसला लिया, तो उस पर धोखा देने का आरोप लग रहा है. भाजपा को यह स्पष्ट करना चाहिए कि राजद अगर उनको समर्थन देता, तब तो वह धोखेबाज नहीं होता.

मंत्री ने कहा, जदयू ने भी जब सिद्धांतों व राजनीतिक आदर्शो की खातिर राजग से अलग होने का फैसला लिया, तो भाजपा ने विश्वासघाती कहा. आज जब राजद विधायकों ने अपना ईमान नहीं बेचा, तो उस पर धोखा देने का इल्जाम लग रहा है. इससे साबित होता है कि भाजपा की शब्दावली में सिद्धांतों व ईमान की राजनीति करना विश्वासघात होता है.

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