नयी दिल्ली : सुरेश कलमाडी और अभय सिंह चौटाला को भारतीय ओलंपिक संघ का आजीवन अध्यक्ष बनाने के एक दिन बाद आईओए के एक शीर्ष पदाधिकारी ने इस कदम पर सवाल उठाये और कहा कि यह देश की शीर्ष खेल संस्था के संविधान का उल्लंघन है. इस अधिकारी ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि कलमाडी को आजीवन अध्यक्ष बनाना आईओए संविधान की भावना का उल्लंघन है जिसके अनुसार आरोपी व्यक्तियों को पदाधिकारी के रुप में चयनित नहीं किया जा सकता है.
कलमाडी अपना नाम पाक साफ होने तक यह पद लेने से इन्कार कर चुके हैं. अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर आरोपी व्यक्ति कार्यकारी समिति का सदस्य नहीं बन सकता है तो फिर एक आरोपी व्यक्ति कैसे आजीवन अध्यक्ष बन सकता है. ‘ उन्होंने कहा, ‘‘केवल इसी मसले के कारण आईओए को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने प्रतिबंधित (दिसंबर 2012 से फरवरी 2014 तक) कर दिया था.
आईओए के अपने संविधान में संशोधन करने और आरोपी व्यक्तियों को चुनावों नहीं लडने देने का प्रावधान शामिल करने के बाद ही आईओसी ने आईओए का प्रतिबंध हटाया था. ‘ अधिकारी ने कहा, ‘‘आईओए के इस संविधान को आईओसी ने मंजूरी दी है और यह पवित्र है. संविधान का अनुसरण करने के बजाय हमने उसका उल्लंघन कर दिया. ‘ उन्होंने कहा कि चौटाला कभी आईओए के संविधान के तहत उसके अध्यक्ष नहीं रहे क्योंकि उनका चुनाव आईओसी ने अमान्य ठहरा दिया था.
अधिकारी ने कहा, ‘‘हर कोई यह क्यों भूल रहा है कि आईओए को निलंबित करने के एक दिन बाद ही आईओसी ने चौटाला और ललित भनोट का अध्यक्ष और महासचिव पद पर चुनाव अमान्य घोषित कर दिया था. आईओसी ने चौटाला के नेतृत्व वाली व्यवस्था को मान्यता देने से इन्कार कर दिया था और वह केवल विजय कुमार मल्होत्रा से संवाद करती थी. ‘ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए आईओए संविधान के अनुसार केवल वही व्यक्ति आजीवन अध्यक्ष बन सकता है जो अध्यक्ष रहा हो.
चौटाला कभी आईओए अध्यक्ष नहीं, इसलिए उन्हें कैसे आजीवन अध्यक्ष बनाया जा सकता है. ‘ आईओए ने कल चेन्नई में अपनी वार्षिक आम बैठक में कलमाडी और चौटाला को आजीवन अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पेश किया था और उसका किसी ने भी विरोध नहीं किया था. इस अधिकारी ने एजीएम में चौटाला की उपस्थिति पर भी सवाल उठाये. उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता कि किस हैसियत से चौटाला ने कल एजीएम में हिस्सा लिया. उन्होंने शायद हरियाणा ओलंपिक संघ के अध्यक्ष के रुप में एजीएम में हिस्सा लिया. उन्हें हाल में एचओए का अध्यक्ष चुना गया लेकिन आईओए संविधान के तहत वे गैरकानूनी हैं हालांकि आईओए अध्यक्ष ने चुनावों को मंजूर कर दिया था. ‘