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मोहम्मद अली: साइकिल चोर पकड़ने के लिए शुरू की थी ”ट्रेनिंग”

लास एंजिल्स : महान मुक्केबाज मोहम्मद अली का निधन हो गया है. उनके परिवार के प्रवक्ता ने एक बयान में यह दुखद समाचार दिया. प्रवक्ता बॉब गुनेल ने कहा कि पर्किंसन बीमारी से 32 साल तक जूझने के बाद मोहम्मद अली का 74 साल की उम्र में निधन हो गया है. इस हैवीवेट मुक्केबाज ने […]

लास एंजिल्स : महान मुक्केबाज मोहम्मद अली का निधन हो गया है. उनके परिवार के प्रवक्ता ने एक बयान में यह दुखद समाचार दिया. प्रवक्ता बॉब गुनेल ने कहा कि पर्किंसन बीमारी से 32 साल तक जूझने के बाद मोहम्मद अली का 74 साल की उम्र में निधन हो गया है. इस हैवीवेट मुक्केबाज ने तीन दशक तक अपने खेल से लोगों को रोमांचित किये रखा और इस दौरान दुनिया में सुर्खियां बटोरी. उन्हें इस सप्ताह सांस की तकलीफ के कारण एरिजोना के फीनिक्स के एक अस्पताल में भरती कराया गया था. तीन बार के हैवीवेट विश्व चैंपियन की स्थिति को लेकर शुक्रवार से ही चिंता बढ़ गयी थी, क्योंकि रिपोर्टों के अनुसार पर्किंसन के कारण उनकी सांस की तकलीफ गंभीर हो गयी है और यह महानतम मुक्केबाज उससे बेहद कमजोर हो गये हैं.

विश्व स्तर पर रिंग के अपने कमाल के कारण ही नहीं बल्कि नागरिक अधिकारों के प्रति अपनी सक्रियता के कारण भी मशहूर रहे अली को पिछले कुछ वर्षों में कई बार अस्पताल में भरती करवाना पड़ा था. उन्हें न्यूमोनिया के कारण 2014 में अस्पताल में भरती होना पड़ी था और इसके बाद पेशाब संबंधी परेशानी के कारण 2015 में भी उन्होंने कुछ दिन अस्पताल में बिताये थे.

सदी के थे महान बॉक्सर : तीन हैवीवेट मुकाबले लड़े, पहले कोई नहीं लड़ा था

मोहम्मद अली को सदी का महान बॉक्सर भी कहा जाता था. उन्होंने अपनी हैवीवेट मुकाबले लड़े, जैसे पहले कभी कोई नहीं लड़ा था. उन्होंने खतरनाक सोनी लिस्टन को दो बार धूल चटायी. मजबूत जॉर्ज फोरमैन को जायरे में हराया और फिलीपींस में, जो फ्रेजियर से लड़ते हुए मौत के मुंह से वापस लौटे. उन्होंने हर किसी से मुकाबला किया और लाखों डॉलर बनाये. उनके मुकाबले इतने लोकप्रिय होते थे कि उन्हें ‘जंगल में गड़गड़ाहट’ और ‘मनीला में रोमांच’ जैसे नाम दिये जाते थे. को हैरानी में डाल दिया कि वह अश्वेत मुसलिमों (इसलामों के देश) के सदस्य हैं.

56 मैच जीते, पांच हारे : 31 फाइट के बाद पहली बार वर्ष 1971 में चखी थी हार

दुनिया उस वक्त हतप्रभ रह गयी थी, जब 31 फाइट के बाद पहली बार वे रिंग में अली हार गये थे. यह फाइट, 8 मार्च, 1971 को मुहम्मद अली और जोसेफ विलियम फ्रेजर के बीच हुई थी. फ्रेजर और अली ने कई फाइटें लड़ीं. अमेरिका के मेडिसन स्क्वेयर गार्डन रिंग में जब मैच हो रहा था, तो पूरी दुनिया की निगाहें टेलीविजन पर टिकी हुईं थीं. उस समय दो ही नाम था सबकी जुबां पर. अली 1960 में लाइटवेट वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियन थे. फ्रेजर ने 1964 में हैवीवेट चैंपियनशिप का टाइटल अपने नाम दर्ज कराया था. द रिंग वर्ल्ड हैवीवेट टाइटल फाइट शुरू हुई. पहला राउंड, दूसरा राउंड … और 14 राउंड. दोनों में से कोई बॉक्सर हार मानने को तैयार नहीं था, लेकिन, 15वां राउंड पूरी दुनिया को चौंकानेवाला था. एक के बाद एक 31 फाइट जीतनेवाले मुहम्मद अली रिंग में पहली बार चित हो गये. यह फ्रेजर की लगातार 27वीं जीत थी. किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि अली हार जायेंगे, लेकिन फ्रेजर ने कर दिखाया. 15 राउंड तक चले मुकाबले का असर यह हुआ कि मुहम्मद अली और फ्रेजर दोनों को अस्पताल में भरती होना पड़ा. इस फाइट को सदी की सर्वश्रेष्ठ फाइट कहा जाता है. मुहम्मद अली ने इस हार का बदला 1974 में लिया. उन्होंने फ्रेजर को 12 राउंड तक चले मुकाबले में हराया.

हारे जिंदगी की जंग: साइकिल चोर पकड़ने के लिए शुरू की थी ट्रेनिंग

उनके मुक्के दमदार होते थे और अपनी तेजी से प्रतिद्वंद्वी को हतप्रभ करने में माहिर थे. इस हैवीवेट चैंपियन ने अपने काम से दुनिया को रोमांचित करने का वादा किया और फिर वह इसमें सफल भी रहे. यहां तक कि जब कई मुक्के खुद सहने का खामियाजा वह भुगते रहे थे और बमुश्किल बात कर पाते थे तब भी वह लोगों को प्रभावित करते थे. वह महानतम थे. वह मुक्केबाजी के पर्याय थे. मोहम्मद अली का जन्म 17 जनवरी 1942 को हुआ था. उन्होंने 12 साल की उम्र में मुक्केबाजी शुरू कर दी थी, क्योंकि किसी ने उनकी नयी साइिकल चोरी कर दी थी और उन्होंने पुलिसकर्मी जो मार्टिन के सामने कसम खायी थी, जिस व्यक्ति ने भी उनकी साइिकल चोरी की वह उसे अपने घूंसे से करारा मजा चखायेंगे. तब अली का वजन केवल 89 पाउंड था, लेकिन मार्टिन ने उन्हें अभ्यास देना शुरू कर दिया. इससे उनके छह साल के एमेच्योर कैरियर की शुरुआत हुई, जिसका अंत 1960 में लाइट हैवीवेट ओलिंपिक स्वर्ण पदक के साथ हुआ.

भारत दौरे पर 80 के दशक में आये थे अली, कोलकाता को भी क्रिसमस पर झुमाया था

भारतीयों को महान मुक्केबाज मोहम्मद अली के दीदार का मौका 1980 में मिला था, जब उनके नुमाइशी मुकाबले को ‘ग्रेटेस्ट टू ग्रेटेस्ट’ कहा गया था. वे दिल्ली, चेन्नई और मुंबई में प्रदर्शनी मैच खेला था. महान मुक्केबाज मोहम्मद अली का कोलकाता से खास जुड़ाव था. उन्होंने 1990 में क्रिसमस के दौरान यहां तीन दिन बिताकर अपने बुद्धि कौशल और जादुई चालों से खेल प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया था. वे मोहम्मडन स्पोर्टिंग के विशेष निमंत्रण पर यहां आये थे. क्लब के पूर्व अध्यक्ष सलमान खुर्शीद ने कहा कि वे यहां व्यक्तिगत आमंत्रण पर आये थे.

ऐसा रहा मोहम्मद अली का सफर

अमेरिका के लुइसविले में ‘कैसियस मर्सेलियुस क्ले’ उर्फ मोहम्मद अली का जन्म हुआ. 12 वर्ष की उम्र में उन्होंने ट्रेनिंग शुरू की.

कैसियस क्ले (मो अली) ने रोम में 1960 में हुए ओलिंपिक खेलों में लाइट हैवीवेट वर्ग का स्वर्ण पदक जीता, फिर पदक फेंक दिया था.

1964 में सोंजी रोई से पहली शादी की. दो वर्ष बाद 1966 में ये दोनों अलग हो गये.

25 फरवरी 1965 में विश्व चैंपियनशिप में अपराजेय लिस्टन को धूल चटायी.

क्ले ने 26 फरवरी, 1965 को यह घोषणा की कि उन्हें अब मोहम्मद अली के नाम से जान जायेगा. उन्होंने खुद को अश्वेत मुसलिम घोषित किया.

उन्होंने अपने मुसलिम धर्म की बात रखते हुए अमेरिकी सेना से जुड़ने से इनकार किया.

सेना से जुड़ने से इनकार करने के कारण न्यूयॉर्क स्टेट एथलेटिक कमीशन ने उन्हें बॉक्सिंग के लाइसेंस से वंचित किया. हालांकि कुछ वर्ष बाद उन्हें मुक्केबाजी की अनुमति दी गयी.

ह्यूस्टन की जूरी ने उन्हें धोखाधड़ी के आरोप में पांच वर्ष की जेल और 10 हजार डॉलर की सजा सुनायी. उनका पासपोर्ट भी जब्त किया गया. वैसे अपील करने के बाद यह सजा 10 दिनों की हो गयी.

मोहम्मद अली ने अगस्त, 1967 में बेलिंडा बॉयड से शादी की. उन्हें तीन लड़कियां और एक लड़का हुआ. 1976 में अलग हो गये.

अली और जो फ्रेजियर के बीच आठ मार्च 1971 को फाइट ऑफ द सेंचुरी हुई. 15 राउंड के कड़े संघर्ष के बाद फ्रेजियर को विजेता घोषित किया गया.

अली ने 1979 में पहली बार संन्यास की घोषणा की, लेकिन कुछ समय बाद ही उन्होंने रिंग में वापसी की.

अली ने 1980 में रिंग में वापसी की, लेकिन नये विश्व चैंपियन लैरी होम्स ने उनकी जम कर पिटाई की. मुकाबला 11वें राउंड में रोका गया.

अली ने 1981 में मुक्केबाजी से हमेशा के लिए संन्यास ले लिया.

मोहम्मद अली को 1996 के एटलांटा ओलिंपिक में ओलिंपिक ज्योति प्रज्वलित करने का गौरव प्रदान

किया गया. उन्हें 1960 के रोम ओलिंपिक का नया स्वर्ण पदक भी प्रदान किया गया.

अली को राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने 2005 में प्रेसीडेंशियल मैडल ऑफ फ्रीडम प्रदान किया.

अली ने 2012 के लंदन ओलिंपिक के शुभारंभ समारोह में उपस्थिति दर्ज करायी थी.

पिछले कुछ वर्षों में कई बार अस्पताल में भरती करवाना पड़ा था. उन्हें न्यूमोनिया के कारण 2014 में अस्पताल में भरती होना पड़ी था और इसके बाद पेशाब संबंधी परेशानी के कारण 2015 में भी उन्होंने कुछ दिन अस्पताल में बिताये थे.

इस सप्ताह सांस की तकलीफ के कारण एरिजोना के फीनिक्स के एक अस्पताल में भरती कराया गया था. तीन बार के हैवीवेट विश्व चैंपियन की स्थिति को लेकर तीन जून से ही चिंता बढ़ गयी थी.

अली महानतम थे और महान व्यक्ति कभी मरते नहीं. इस खेल के लिए उन्होंने जो कुछ किया उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. यहां तक कि रिंग के बाहर के अपने कार्यों से भी वे अमर बन गये. उन्होंने कई लोगों के लिए बहुत कुछ किया.
विजेंदर सिंह, भारतीय स्टार मुक्केबाज


‘यह मुक्केबाजी के लिए बहुत बड़ा नुकसान है. मुझे निजी तौर पर नुकसान का अहसास हो रहा है, क्योंकि उन्होंने मुझे और मुझ जैसे कई लोगों को प्रेरित किया. उन्हें हमेशा दमदार मुक्केबाज के रूप में याद किया जायेगा.
भारतीय मुक्केबाज मेरीकॉम


अली के निधन से वास्तव में मैं काफी दुखी हूं. एक महान मुक्केबाज हमारे बीच नहीं रहे. वे भले ही व्यक्ति के रूप में मौजूद नहीं रहेंगे, लेकिन उनका नाम हमेशा जिंदा रहेगा, जब भी कोई मुक्केबाजी की बात करेगा, पहला नाम अली का आयेगा.’
भारत के पूर्व क्रिकेटर लक्ष्मण


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘भगवान मोहम्मद अली की आत्मा को शांति दे. आप आदर्श खिलाड़ी और प्रेरणा स्रोत रहे, जिन्होंने मानवीय भावना और प्रतिबद्धता की ताकत की झलक पेश की. सचिन तेंडुलकर ने भी शोक जताया. उन्होंने कहा कि आज दुनिया ने एक महान खिलाड़ी को खो दिया. निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और पूर्व क्रिकेटरों ने दुख जताया.

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