बेंगलूरु : भारत के पूर्व कप्तान धनराज पिल्लै ने हॉकी इंडिया लीग में पाकिस्तानी खिलाडियों की भागीदारी की पैरवी की और यह भी कहा कि लीग के अधिकारियों को भारत में हॉकी का स्तर बेहतर बनाने के लिये अकादमियों की स्थापना पर पैसा खर्च करना चाहिये.
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हॉकी इंडिया लीग में पाकिस्तानी खिलाडियों की भागीदारी चाहते हैं धनराज
बेंगलूरु : भारत के पूर्व कप्तान धनराज पिल्लै ने हॉकी इंडिया लीग में पाकिस्तानी खिलाडियों की भागीदारी की पैरवी की और यह भी कहा कि लीग के अधिकारियों को भारत में हॉकी का स्तर बेहतर बनाने के लिये अकादमियों की स्थापना पर पैसा खर्च करना चाहिये. पिल्लै ने कहा कि हॉकी इंडिया को राजनीतिज्ञों से […]
पिल्लै ने कहा कि हॉकी इंडिया को राजनीतिज्ञों से अनुमति लेकर पाकिस्तानी खिलाडियों को हाकी इंडिया लीग में शामिल करना चाहिये. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा ,‘‘ हॉकी इंडिया को राजनीतिज्ञों से अनुमति लेकर पाकिस्तानी खिलाडियों को एचआईएल में शामिल करना चाहिये. मुझे नहीं लगता कि इसमें उन्हें कोई मसला होगा.
” पिल्लै यहां हॉकी स्टेडियम पर खेले जा रहे बेंगलूरु कप के दूसरे सत्र में भाग लेने आये हैं जिसमें वह एयर इंडिया टीम के कोच हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी खिलाडियों ने अपनी बदसलूकी के लिये माफी नहीं मांगी जिसकी वजह से वे लीग से बाहर हैं. उन्होंने कहा ,‘‘ समस्या यह है कि उन्होंने अपनी बदसलूकी के लिये माफी नहीं मांगी. ऐसा होता रहता है.
दोनों महासंघ यदि राजनेताओं से मिलकर बात करते तो यह मसला हल हो सकता था.” पिछले साल दिसंबर में चैम्पियंस लीग सेमीफाइनल में भारत पर मिली जीत के बाद अभद्र तरीके से जश्न मनाने वाले पाकिस्तान के दो खिलाडियों पर एक एक मैच का प्रतिबंध लगाया गया था. पाकिस्तानी खिलाडियों ने अपनी कमीज उतारने के अलावा दर्शकों की ओर अभद्र इशारे किये थे.
देश में हॉकी का स्तर बेहतर करने के लिये अकादमियों की स्थापना पर जोर देते हुए पिल्लै ने कहा कि हाकी इंडिया लीग के अधिकारियों को कुछ पैसा अकादमियों की स्थापना पर खर्च करना चाहिये. उन्होंने कहा ,‘‘ हॉकी इंडिया लीग के अधिकारियों को कुछ पैसा अकादमियों की स्थापना पर खर्च करना चाहिये ताकि युवा खिलाडियों को तैयार किया जा सके.
हमने रोलेंट ओल्टमेंस को हाई परफार्मेंस निदेशक बनाया लेकिन देश में खेल को बेहतर बनाने के लिये जमीनी स्तर का कार्यक्रम तैयार नहीं किया.” विदेशी कोच के सवाल पर उन्होंने कहा कि देश को उनकी जरुरत नहीं है क्योंकि भारत में कई बेहतरीन कोच हैं. उन्होंने कहा ,‘‘ ध्यानचंद, बलजीत सिंह ढिल्लो, जुगराज सिंह और मैं भारतीय कोचों द्वारा तैयार किये गए हैं, विदेशी कोचों द्वारा नहीं.” उन्होंने कहा ,‘‘ विदेशी कोच अपना शत प्रतिशत नहीं देते हैं और भाषा की समस्या है क्योंकि भारतीय खिलाड़ी अंग्रेजी नहीं समझते.”
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